पासवान परिवार का चिराग

December 14 2013


लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान अपने युवा पुत्र चिराग पासवान को अपनी राजनैतिक विरासत सौंपने की कवायद में जुट गए हैं। युवा चिराग अपनी फिल्मी पारी अधूरी छोड़ सियासत की उबड़ खाबड़ पगडंडियों पर चलने को महज इसीलिए प्रस्तर हैं कि वे अपने पिता के सियासी ढलान को एक मुकम्मल ऊंचाई देना चाहते हैं। सो एक तरह से पिछले कई महीनों से लोक जनशक्ति पार्टी के अहम निर्णय चिराग ही कर रहे हैं, चिराग अपने पिता की परंपरागत दलित राजनीति से उलट युवाओं की राजनीति करना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि बिहार का 58 फीसदी से ज्यादा मतदाता युवा है, चुनांचे इस दफे के लोक जनशक्ति के चुनावी अभियान को भी उन्होंने एक नया चेहरा-मोहरा देने की ठानी है। वे बिहार के पहले ऐसे चंद नेताओं में शुमार हो गए हैं जो सोशल साइट्स पर इस कदर एक्टिव हैं, उनकी कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी से खूब दोस्ती है, लिहाजा वे चाहते हैं कि बिहार में राजद, कांग्रेस व लोक जनशक्ति पार्टी के बीच चुनावी तालमेल कायम हो सके। बिहार में अब तक वे कई रैलियां कर चुके हैं और उनकी रैलियों में भीड़ भी खूब जुट रही है। सो, बिहार की राजनीति में इन दिनों लालू और रामलिवास में दो बातें बेहद कॉमन है कि दोनों ही नेता अपने-अपने युवा पुत्र को राजनीति में आगे लाना चाहते हैं, लालू अपने पुत्र तेजस्वी को और रामविलास अपने पुत्र चिराग को, क्या इससे सचमुच वहां की जातीय राजनीति दुराग्रही संकीर्णताओं से ऊपर उठेगी?

 
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