अल्पेश का केस बिगाड़ने की तैयारी |
November 20 2017 |
सेक्स सीडी कांड से हार्दिक पटेल की धार कुंद करने का दावा करने वाली भाजपा अब ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर की काट ढूंढने में जुटी है, क्योंकि ठाकोर फिलवक्त पूरे जोर शोर से कांग्रेस के पक्ष में अलख जगा रहे हैं। सनद रहे कि गुजरात चुनाव में हमेशा से ओबीसी वोटर निर्णायक रहे हैं। गुजरात में इनकी कुल आबादी 40 फीसदी के आसपास है। इसमें से अकेले 20 प्रतिशत ठाकोर जाति के लोग हैं, अल्पेश जिनकी रहनुमाई करते हैं। ठाकोर जाति के लोग उत्तर और मध्य गुजरात के गांवों में फैले हुए हैं। जब गुजरात में रजवाड़ों का जमाना था तो ये ठाकोर लोग उनके लड़ाके थे, उनकी सेनाओं में शामिल थे, समय बदला और रजवाड़े जब अतीत बनते गए तो ये खेती बाड़ी के काम में जुट गए, इनमें से ज्यादातर के पास जमीनों की मिल्कियत नहीं थी तो वे खेतिहर मजदूर बनकर रह गए। इस वर्ग के ज्यादातर युवाओं के पास रोजगार नहीं था जब 2011 के आसपास अल्पेश परिदृश्य में आए तो उन्होंने देखा कि ठाकोर युवाओं के पास न तो अपनी पढ़ाई लिखाई है और न ही जीवन में उनका कोई लक्ष्य है, सो अल्पेश ठाकोर ने अपनी क्षत्रिय ठाकोर सेना का गठन किया, जिनसे जुड़े स्वयंसेवक बड़े पैमाने पर ठाकोर युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए कोचिंग क्लासेस चलाने लगे। 2016 में अल्पेश ने राज्य की ओबीसी, एससी और एसटी जातियों को प्रतिनिधित्व देने और उन्हें एक स्वर मुहैया कराने की गरज से एकता मंच का गठन किया और दावा किया किया गया कि यह गुजरात की 70 फीसदी आबादी का एक मंच है, कहीं न कहीं यह मंच हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन को भी चुनौती देने का काम कर रहा था। बदले राजनैतिक परिदृश्य में अब चूंकि अल्पेश, हार्दिक व जिग्नेश भगवा लहरों के प्रतिकूल एक नाव पर सवार हो गए हैं, शायद इसीलिए अब केसरिया ताने-बानों के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं। |
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