तारीफ की इंतहा |
February 04 2015 |
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान हमारे प्रधानमंत्री का उन्हें ‘बराक’ संबोधन देना, कई पश्चिमी मीडिया को रास नहीं आ रहा है, वे इसे किसी राष्ट्राध्यक्ष के जरूरी शिष्टाचार का हनन मान रहे, लंदन से निकलने वाली प्रसिद्ध पत्रिका ने तो आवेश में आकर इसे ‘एक चाय वाले का अनर्गल प्रलाप करार’ दिया है। वहीं मोदी को खुश करने की होड़ में उनके नजदीकी और मंत्रिगण चापलूसी की तमाम सीमाएं लांघ रहे हैं। पिछले सप्ताह जैसे ही कैबिनेट की मीटिंग शुरू हुई एक प्रमुख महिला नेत्री में अतिरंजित तारीफों के पुल बांध दिए। बकौल महिला मंत्री-‘सर, आपका अमरीकी राष्ट्रपति को ‘बराक’ कह के बुलाने से हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा है, वह अमरीकी राष्ट्रपति से आपकी निजी दोस्ती के नए आयाम से वाकिफ हो रहा है, और कहीं न कहीं उन्हें अमरीका से अपनी बराबरी का अहसास हो रहा है।’ सच है शासन सिर्फ बड़े दिल और बड़े मन से नहीं होता, इसके लिए आत्म प्रवंचनाओं की खिड़की-दरवाजे खोलकर उनसे बाहर भी निकलना होता है। |
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