अदालत व सरकार में तकरार |
April 30 2018 |
न्यायपालिका और सरकार के बीच रिश्तों में आई तल्खी कम होती नहीं दिख रही, ताज़ा मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एम जोसेफ का है, जब सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति की सिफारिश की फाइल को पीएम ने पुनर्विचार के लिए वापिस भेज दी। कहा गया कि कोलेजियम जिन नामों की सिफारिश करे सरकार उसे मानने को बाध्य नहीं और ना ही इसके लिए सिर्फ वरिष्ठता को आधार माना जा सकता है। वैसे भी जस्टिस चेलमेश्वर की वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए सरकार ने जस्टिस दीपक मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया था। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या जस्टिस मिश्रा की कुर्सी पर जस्टिस रंजन गोगई काबिज होंगे या जस्टिस मिश्रा के कार्यकाल को 2 वर्शों का एक्सटेंशन मिलेगा? सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार चीफ जस्टिस के कार्यकाल को 65 वर्श की जगह 67 वर्ष करने पर विचार कर रही है। मनमोहन सिंह भी 2010 में 114 संविधान संशोधन विधेयक लाना चाहते थे, ताकि देश के मुख्य न्यायाधीश की रिटायरमेंट की उम्र 67 वर्ष की जा सके, पर कुछ कारणों से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। भाजपा सरकार के पास ऐसा संशोधन लाने का पूरा आधार है पर इसमें दिक्कत सिर्फ एक है कि यह एक संवैधानिक संशोधन होगा, जिसकी तपिश से गुजरने के लिए भगवा पार्टी को तैयार रहना होगा। |
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