रिपीट नहीं होंगे शाह?

January 18 2015


संघ और मोदी के अंतर्संबंधों में नए आयाम विकसित हुए हैं, समझा जाता है कि बदले सियासी परिदृश्य में संघ मोदी के पीछे आंख-मूंद कर चलने को तैयार नहीं, और वह मोदी के आई, मी, मायसेल्फ की राजनीति को आत्म प्रवंचना की छाया से मुक्त कराना चाहता है, शायद यही वजह है कि अब भाजपा के अंदरूनी मसलों पर भी संघ सरचालक मोहन भागवत बढ़-चढ़कर बयान दे रहे हैं। हालिया दिनों में संघ नेताओं की कई मैराथन बैठकें हुई है, संघ से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव बतौर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के लिए आखिरी चुनाव साबित हो सकते हैं। नवंबर में भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना है, सूत्रों की मानें तो संघ अमित शाह पर दोबारा दांव लगाने के पक्ष में नहीं। मोहन भागवत एक से ज्यादा मौकों पर मोदी से कह चुके हैं कि उनकी राय में प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष दोनों को एक ही राज्य से नहीं होने चाहिए। चुनांचे अगर यह ‘भागवत थ्योरी’ परवान चढ़ती है तो फिर पार्टी के अगले अध्यक्ष के लिए नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा के नाम रेस में आगे आ सकते हैं, और अगर इन तीनों नामों में से ही चुनना पड़ा तो सियासत के चतुर सुजान मोदी अपना फैसला नड्डा के हक में सुना सकते हैं।

 
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