सियासत के शहंशाह हैं शाह

February 05 2018


एक चर्चित डायलॉग में अमिताभ बच्चन कहते नज़र आते हैं ’मैं जहां खड़ा होता हूं, लाइन वहां से शुरू होती है।’ और अगर यही संवाद सियासत के शहंशाह अमित शाह को कहना पड़े तो बताइए भला वे क्या बोलेंगे-’भगवा सियासत में वही आगे जाएगा, जो मेरे आसपास नज़र आएगा।’ सच भी है, शाह की भले ही ऊपरी सदन में नई एंट्री हो, पर वे जहां बैठ जाते हैं, मज़मा वहीं से शुरू होता है। शाह जब संसद में आते हैं, संसद से जाते हैं या फिर सदन में होते हैं या सेंट्रल हॉल में सुस्ताते हैं, तो भाजपा सांसदों में उनके आसपास बने रहने की रेलमपेल मची होती है। यूं तो शाह अल्पभाषी हैं, इतने मुखर भी नहीं, लिहाजा विपक्षी नेताओं से वे कम ही मुखातिब होते हैं। वे जहां जिस हाल में होते हैं भूपेंद्र यादव और जेपी नड्डा को सदैव उनके इर्द-गिर्द देखा जा सकता है। शाह अगर सेंट्रल हॉल में जमे हों और पास से कोई सरकार का मंत्री गुजरे तो उनके पैर भी जहां के तहां जम जाते हैं और चाहे-अनचाहे वे भी शाह की महफिल में शरीक हो जाते हैं।

 
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