सत्यार्थी के सच!

October 13 2014


‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के प्रणेता कैलाश सत्यार्थी को नोबल शांति पुरस्कार मिलना जहां देश के लिए गौरव की बात है, वहीं आने वाले दिनों में यह विवाद गर्मा सकता है कि नोबल की रेस में कैलाश से बेहतर कई और लोग शामिल थे, कैलाश सत्यार्थी के कुछ पुराने साथी कई नए सवाल उछालने जा रहे हैं कि क्या कैलाश के लिए तमाम लॉबिंग ‘क्रिश्चियन लॉबी’ ने की? कुछ लोगों के ये भी आरोप हैं कि कालीन उद्योग का सत्यानाश करने का श्रेय भी सत्यार्थी को जाता है, बालश्रम की दुहाई देकर भारत के अरबों करोड़ के निर्यात वाले कालीन उद्योग का जानबूझ कर भट्ठा बिठा दिया गया। सूत्रों का यह भी दावा है कि जब सत्यार्थी के साथ उनके सहयोगी की भूमिका में स्वामी अग्निवेश जुड़े तो ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ को एक व्यापक आयाम मिला, और इस पूरे आंदोलन को व्यापकता देने और उसकी जमीन तैयार करने में अग्निवेश की एक महती भूमिका थी, पर कहते हैं कि अग्निवेश का भगवा वस्त्र धारण करना पश्चिमी देशों खास कर क्रिश्चियन लॉबी को पसंद नहीं आया। ऐसे में कैलाश सत्यार्थी ने अपने लिए इस लॉबी में एक खास जगह बना ली, कैलाश के लिए यही लॉबी पिछले 14 वर्षों से निरंतर प्रयास कर रही थी। कहते हैं कि सन् 2006 में तो कैलाश सत्यार्थी नोबल की अंतिम 10 लोगों की सूची में चयनित हो गए थे। पर नोबल कमेटी को उनके आंदोलन की व्यापकता को लेकर संदेह था, चुनांचे इस संदेह निवारण के लिए पूरी क्रिश्चियन लॉबी एकजुट हो गई और अब परिणाम सबके सामने है। भले ही इस प्रक्रिया में तकरीबन 8 वर्षों का वक्त क्यों नहीं लग गया हो।

 
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