शाह की आह से मुखरित हुआ है रूपानी का विजय पथ |
August 14 2016 |
क्या वाकई अमित शाह ने गुजरात की गद्दी संभालने के लिए कमर कस ली थी? पीएमओ से जुड़े विश्वस्त सूत्रों का दावा है कि आनंदीबेन के फेसबुक पर इस्तीफे के बाद अमित शाह मुंबई गए थे जहां उनकी मोदी करीबी कुछ उद्योगपतियों से मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात में शाह ने इन थैलीशाहों से पीएम के समक्ष अपना नाम आगे बढ़ाने की गुजारिश की थी। फिर दिल्ली लौट कर शाह ने वेंकैया नायडू, अरूण जेतली और नितिन गडकरी से बात की और उनसे आग्रह किया कि वे पीएम को शाह के नाम पर राजी करें। सूत्रों के मुताकिब जिस रोज भाजपा की संसदीय दल की बैठक होनी थी, शाह ने उस सुबह रामलाल और अनंत कुमार से विस्तार में बातें की। इस पूरे वाकयात की ख़बर नरेंद्र मोदी को पहले लग चुकी थी। चुनांचे गुजरात के मसले पर संसदीय दल की बैठक में हिस्सा लेने मोदी ने जैसे ही कमरे में प्रवेश किया, छूटते ही उन्होंने कमरे में मौजूद भाजपा नेताओं से दो टूक कह दिया कि गुजरात के अगले सीएम के लिए अमित जी के नाम को छोड़ कर अन्य नामों पर चर्चा होगी। इस बैठक में मोदी की मंशाओं को भांपते नितिन पटेल के नाम पर सहमति की मुहर लग गई और पटेल के नाम पर विधायकों की राय बनाने का जिम्मा नितिन गडकरी और सरोज पांडे को सौंपा गया। इस बात की भनक जैसे ही नितिन पटेल गुट को लगी, समर्थकों ने मिठाइयां बांटनी शुरू कर दी और स्वयं नितिन पटेल ने बधाईयां स्वीकार करनी शुरू कर दीं। अपना दांव उल्टा पड़ता देख अमित शाह उसी रात मोदी से मिले, उनके चरणस्पर्श किए और उनसे आशीर्वाद मांगा कि 17 के विधानसभा चुनाव में वे अपने दम पर गुजरात विजय करके दिखाएंगे, फिर उन्होंने गुजराती में मोदी से कहा-इसके लिए बस आपको विजय रूपानी के नाम को हरी झंडी दिखानी होगी। इस बात के लिए मोदी मान गए पर शाह का दिल अब भी नहीं मान रहा कि वे चाह कर भी गुजरात का सीएम नहीं बन पाए, भले ही उनके भरत रूपी रूपानी उनका खड़ाऊं रख कर गुजरात का राजपाट चला रहे हों पर राम को तो वनवास ही मिला। |
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