मोदी का तारणहार बनकर संघ फिर आया सामने

November 20 2017


गुजरात में केसरिया ताने-बाने के समक्ष महती चुनौती उछालने वाले तीन युवा लड़ाकों हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मवानी को साधने की बाजीगरी में अब भाजपा को संघ का भी साथ मिलने लगा है। भले ही भाजपा का शीर्ष नेतृत्व गुजरात में केसरिया आंधी का दिवास्वप्न दिखा रहा हो, पर सच तो यह है कि पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस बेहद मजबूती से उभरकर चुनावी लड़ाई में शामिल हुई है, और जो सर्वेक्षण एजेंसियां आज से दो माह पूर्व भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में 12 फीसदी से ज्यादा अंतर रहने की बात बता रही थी, इनके ताजे आंकड़े चौंकाने वाले हैं। गुजरात चुनाव में भाजपा की बढ़त अब घटकर 5 से 6 फीसदी रह गई है। सनद रहे कि भाजपा के समक्ष महती चुनौती उछाल रहे इन तीन युवाओं में से हार्दिक पटेल पाटीदार समाज से, अल्पेश ठाकोर (जो अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं) ओबीसी वर्ग से और जिग्नेश मवानी दलित समाज से ताल्लुकात रखते हैं। इतिहास साक्षी है कि गुजरात में अब तक दो मुद्दों पर ही चुनाव हारे या जीते जाते रहे हैं। वह है धर्म और जाति। जाति को तोड़ने, जोड़ने व साधने में अमित शाह की उस्ताद राजनीति से सब वाकिफ हैं। चुनांचे अब संघ को लग रहा है कि गुजरात चुनाव में ’हिंदुत्व कार्ड’ ही निर्णायक साबित होगा, सूत्रों के मुताबिक इस तथ्य को मद्देनजर रखते संघ ने अपने 12 विभागों को राज्य के हिंदुओं को एकजुट करने का जिम्मा सौंपा है। सूत्र बताते हैं कि संघ के इन 12 आनुषांगिक संगठनों में समन्वय बनाए रखने के लिए एक ’कोऑर्डिनेशन कमेटी’ का भी गठन हुआ है। इन संगठनों ने गुजरात के अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में बकायदा काम करने शुरू कर दिए हैं कि कैसे अपने-अपने समुदाय व वर्गों की सरपरस्ती कर रहे इन युवाओं के प्रभाव को कम किया जा सके। अब तक के चुनाव गवाह हैं कि जब-जब मोदी पर कोई संकट आया है या उनकी चुनावी लड़ाई दुर्गम या भीषण हुई है, संघ ने अपनी पूरी ताकत मोदी के पीछे झोंक दी है, गुजरात के मौजूदा विधानसभा चुनाव में भी इस बात की झलक मिलने लगी है।

 
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