जब राहुल ने ठुकराया और मोदी ने अपनाया

November 13 2016


देश में एक नई करेंसी क्रांति को परवान चढ़ाने की इबारत कहीं पहले लिखी जा चुकी थी, इस योजना को अमलीजामा पहनाने में देश के एक अर्थशास्त्री अनिल बोकिल की भी एक महती भूमिका मानी जा रही है। सूत्र बताते हैं कि बोकिल ने अपने लंबे अध्ययन के बाद एक प्रेजेंटेशन तैयार किया था कि देश के अंदर व्याप्त काले धन को कैसे सरकार चलन में ला सकती है और कैसे पाकिस्तान द्वारा ऑपरेट जाली नोटों के चलन पर अंकुश लगाया जा सकता है। कहते हैं कोई डेढ़ साल पहले बोकिल अपने इस प्रेजेंटेशन को लेकर सबसे पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने पहुंचे, सूत्र बताते हैं कि राहुल ने बोकिल को मात्र 17 सेकंड की मुलाकात के बाद ही बाहर का रास्ता दिखा दिया और उनसे कहा कि वे मोहन गोपाल से मिल कर उनके समक्ष अपनी बात रख सकते हैं। इस बात से आहत बोकिल प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिशों में जुट गए। कुछ महीनों पहले बमुश्किल उन्हें देर शाम पीएम से मिलने के लिए 9 मिनट का वक्त मिला। जब बोकिल ने पीएम के समक्ष अपना प्रेजेंटेशन देना शुरू किया तो मोदी की दिलचस्पी उसमें बढ़ती गई और किसी को पता भी नहीं चला कि कब और कैसे 2 घंटे गुजर गए। कहते हैं इस अर्थशास्त्री ने मोदी को बताया कि असंगठित क्षेत्रों में अभी भी 76 फीसदी नकद का काम होता है, यही वजह है कि देश के अंदर कोई 14-15 लाख करोड़ ब्लैक मनी है। इसके बाद ही मोदी ने अपने 10 खास विश्वासपात्रों की एक कोर टीम बनाई, इस टीम में अजित डोवल, शक्तिकांत दास, ऊर्जित पटेल सरीखे लोग शामिल थे। इस पूरी योजना को इतने गुपचुप तरीके से अंजाम दिया गया कि किसी को कानोंकान ख़बर नहीं हुई, और एक रोज यूं अचानक पीएम का राष्ट्र के नाम संदेश आ गया।

 
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