रावत का दांव राज्यसभा

November 10 2014


उत्तराखंड के कांग्रेसी मुख्यमंत्री हरीश रावत सियासत के माहिर खिलाड़ी बनकर उभरे हैं, एक अनार, सौ बीमार की तर्ज पर जब उत्तराखंड से एक मात्र राज्यसभा सीट का नंबर आया तो इसको लेकर पार्टी नेताओं में घमासान मच गया, रावत यूं तो यह सीट अपनी पत्नी रेणुका रावत को देना चाहते थे, पर जब उन्होंने देखा कि इस सीट को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं में इस कदर खींचतान मची है तो उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए। इस सीट पर राजीव शुक्ला, राज बब्बर, रीता बहुगुणा जोशी, विजय बहुगुणा जैसे नेताओं की नारें टिकी थीं। रावत करीबी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी इसके लिए अपना दावा पेश कर रहे थे। पर हरीश रावत ने अपनी वफादार मनोरमा शर्मा उर्फ मनोरमा डोबरियाल का नाम आगे लाकर सारे पांसे पलट दिए। मनोरमा 10 साल से रावत की वफादार बनी हुई हैं। दो बार मेयर और जिला परिषद की अध्यक्षा रह चुकी हैं। पौढ़ी की हैं, ब्राह्मण हैं, महिला हैं, विजय बहुगुणा विरोधी हैं। मनोरमा को आगे कर रावत ने रीता बहुगुणा जोशी की राजनीति की हवा निकाल दी, जो खुद ब्राह्मण हैं, पौढ़ी की रहने वाली हैं। यह दांव चलकर रावत ने लगे हाथ सतपाल महाराज को निपटाने की भी कोशिश की, जो ऐन वक्त कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में चले गए थे। मनोरमा के नाम पर सोनिया गांधी को तैयार करने के लिए रावत ने एक बड़ा दांव चला, जब इस 4 नवंबर को वे उत्तराखंड के जिला परिषद के अध्यक्षों को सोनिया से मिलवाने दिल्ली ले गए, तब ही उन्होंने जिला परिषद के कई अध्यक्षों से सोनिया के समक्ष मनोरमा का नाम रखवा दिया, कहना न होगा कि उनका यह दांव सफल भी रहा।

 
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