राम पार्टी के नए माधव हैं राम माधव

May 23 2016


5 राज्यों के चुनावी नतीजों से भाजपा बम-बम है। पूर्वोत्तर में पहली बार भगवा झंडा लहराया है, असम में पहली दफे शायद खुल कर मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में वोटिंग की है (कोई 17 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल में 11 फीसदी वोट शेयर के साथ, भाजपा को कांग्रेस से मात्र 1 फीसदी कम वोट हासिल हुए हैं, केरल जैसे प्रांत में भाजपा का वोट शेयर 14 फीसदी हो गया है, यह एक बड़ी बात है। असम की जीत से भाजपा ने क्या सीखा? जैसा राजनाथ सिंह जैसे नेता पार्टी मंच पर बोलते नज़र आए कि ‘असम में हमने एक साफ-सुथरा चेहरा दिया और वहां के लोगों ने हमें सरकार बनाने की ताकत दी।’दो कदम आगे बढ़ कर राजनाथ ने मोदी- शाह द्वय को यह भी समझाना चाहा कि पार्टी को असम का प्रयोग ही यूपी में दोहराना होगा। वहां भी पार्टी को चुनाव में किसी मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर दांव लगाना होगा। पर असम में दांव तो मोदी ने भी लगाया था, अंदरखाने की ख़बर है कि बिहार की हार से सबक लेकर मोदी ने चुनावी रणनीति बुनने का जिम्मा शाह से लेकर राम माधव को दे दिया था, और राम माधव के खास रजत सेठी ने महीनों पूर्व गुवाहाटी में तीन कमरों का एक किराए का फ्लैट लेकर वहां काम करना शुरू कर दिया था, सिर्फ मतदाताओं के बारे में सम्यक जानकारी जुटाने के लिए सेठी ने अपने गुवाहाटी वाले वॉर रूम में 400 युवाओं की एक साइबर फौज इक्ट्ठी कर रखी थी। यह सेठी ही थे जिनके कहने पर नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में कांग्रेस के निवर्त्तमान मुख्यमंत्री तरूण गोगोई पर कोई सीधा हमला नहीं बोला। असम के नतीजों के बाद राम माधव की पार्टी व मोदी दरबार में पूछ और बढ़ने वाली है, आप उन्हें यूपी चुनाव के नए रणनीतिकार के तौर पर भी देख सकते हैं।

 
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