राहुल बाबा की कांग्रेस अब बाबाओं की शरण में

December 29 2017


कांग्रेस के नए नवेले अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी अध्यक्षीय पारी को एक नया माएने देना चाहते हैं, चुनांचे अपनी कोर टीम के साथ वे न सिर्फ नई रणनीतियां बुन रहे हैं, अपितु कुछ ऐसे मुद्दों को हवा देकर वे नरेंद्र मोदी के समक्ष कुछ महती चुनौतियां उछालना चाहते हैं जिसके पेंचोखम में सत्ता की पेशानियों पर नए बल पड़ जाएं। राहुल खुश हैं कि उनके सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड गुजरात में चल गया, अब वे आने वाले कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी यह दांव आजमाना चाहेंगे। उनकी जनेऊ राजनीति एक नया उबाल मारेगी और मंदिर-मंदिर जाकर वे शीष नवाएंगे। राहुल के खास विश्वस्तों में शुमार होने वाले अशोक गहलोत पिछले कुछ समय से कुछ ऐसे धर्म गुरुओं और बाबाओं की परिक्रमा कर रहे हैं जिनकी नाराजगी घोषित तौर पर भाजपा के साथ है। गुजरात विधानसभा चुनावों से ऐन पहले गहलोत ने आसाराम बाबू के किसी खास चेले के मार्फत उनसे संपर्क साध लिया था, और उन्होंने आसाराम के पास यह संदेशा भिजवाया कि आसाराम गुजरात में फैले अपने हजारों अनुयायियों को कांग्रेस के पक्ष में अलख जगाने को कहें। सूत्र बताते हैं कि जैसे ही इस बात की भनक अमित शाह को लगी उन्होंने आनन-फानन में आसाराम को संदेशा भिजवाया कि वे उतावलेपन में कोई गलत निर्णय न लें, समय आने पर सब ठीक हो जाएगा। पर कहते हैं मीडिया द्वारा उन्हें झांसाराम घोषित किए जाने से आसाराम सत्ता पक्ष से खासे आहत हैं, सो उनका झुकाव अब कांग्रेस की ओर ज्यादा दिख रहा है। सूत्र बताते हैं कि गहलोत के दूत आसाराम के अलावा राम रहिम और रामपाल के भी संपर्क में हैं। इसके अलावा कांग्रेस देश भर में ऐसे बाबाओं व संतों की पड़ताल कर रही है जिनकी नाराजगी कहीं न कहीं भाजपा के साथ है। राहुल के अध्यक्षीय अवतार के बाद कांग्रेस की यह चोला बदल राजनीति क्या उसे वाकई मतदाता रूपी भगवान से जोड़ पाएगी। यह तो इन बाबाओं की भक्ति व शक्ति ही बता पाएगी।

 
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