विपक्ष को पटाने में दक्ष

April 12 2015


‘लैंड बिल’ को लेकर सरकार के संकटमोचकों ने भी कमर कस ली है, रूठों को मनाया जा रहा है, नए दोस्तों के लिए दाने डाले जा रहे हैं। भूमि बिल को राज्यसभा में पास कराने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह से कटिबद्द जान पड़ती है। शरद पवार और उनकी पार्टी को पटा लिया गया है, पवार अब लैंड बिल पर भगवा सुर अलाप रहे हैं। ममता बनर्जी ने एक के बाद एक संशोधनों की एक लंबी फेहरिस्त भाजपा मैनेजरों के समक्ष पेश कर दी है, इनमें से कुछ मांगों को मानना भाजपा के लिए संभव नहीं, इसके लिए दीदी को मनाने की कवायदें हो रही है। मुलायम और उनकी सपा की ओर से भी सरकार को सकारात्मक संकेत मिले हैं। मुलायम ने भगवा रणनीतिकारों को यह भरोसा दिलाया है कि लैंड बिल के मामले में भी जनता परिवार वही रणनीति अपनाएगा जो उसने कोल और इंश्योरेंस बिल के दौरान अपनाई थी। बसपा को भी वॉक-आउट के लिए तैयार कर लिया गया है। बस कांग्रेस और सीपीएम अपनी जिद पर अड़ी है और इस बिल का पुरकश विरोध कर रही हैं। रही बात भाजपा की तो वह इस विधेयक को संसद के संयुक्त सत्र में पास कराने की इच्छुक नहीं, क्योंकि संवैधानिक रूप से संसद का संयुक्त सत्र तभी बुलाया जा सकता है जब यह बिल सदन में गिर जाए और अगर बिल सदन में नहीं गिरता है तो फिर इसे सेलेक्ट कमेटी में जाना होगा, भाजपा ऐसा किंचित चाहती नहीं।

 
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