यूपी में राष्ट्रपति शासन

June 15 2014


यूपी में बिगड़ती कानून व्यवस्था की हालात को देखते हुए संघ समेत उसके कई अन्य अनुषांगिक संगठन इस राय के बताए जाते हैं कि मोदी सरकार को जल्द ही यूपी का संज्ञान लेना चाहिए और जरूरत पड़े तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाने से भी संकोच नहीं करना चाहिए, पर भाजपा की मुश्किल यह है कि इस बाबत एनडीए की गिनती राज्यसभा में बहुमत से बहुत पीछे है, राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं और बहुमत के लिए 123 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है। राज्यसभा की मौजूदा गिनती के मुताबिक कांग्रेस के करीब 70 और यूपीए के 104 सदस्य हैं। वहीं भाजपा के मात्र 42, बसपा के 14, जदयू के 9 और सपा के 9 सांसद हैं। पर भाजपा के कुछ रणनीतिकार इस स्थिति का सामना करने के लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाने की राय दे रहे हैं, लिहाजा अगर मोदी सरकार यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहे तो इस प्रस्ताव को वह सदन के संयुक्त सत्र में पास करा सकती है, पर स्वयं नरेंद्र मोदी ऐसे किसी अतिवादी कदम उठाने के खिलाफ बताए जाते हैं, इस बाबत मोदी की राय है कि राज्यों की स्वायतत्ता में केंद्र का कम से कम हस्तक्षेप होना चाहिए। केंद्र राज्य संबंधों को लेकर मोदी की अपनी एक थ्योरी है, और इस बाबत वे राज्यों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए जाने के पक्षधर हैं।

 
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