लोजपा का विलय भाजपा में करने की तैयारी |
April 21 2021 |
सियासत जब रंग बदलती है तो बड़े सियासी सूरमाओं के रंग भी उड़ जाते हैं, सूत्रों की मानें तो आने वाले कुछ समय में चिराग पासवान अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर सकते हैं। पिछले दिनों बिहार में चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह ने नीतीश के जदयू का दामन थाम लिया है। राजकुमार से पहले भी लोक जनशक्ति पार्टी के कोई 200 से ज्यादा नेताओं ने नीतीश की शरण ले ली है। यहां तक कि चिराग की पार्टी के कई सांसद भी नीतीश के संपर्क में बताए जाते हैं, इनमें से एक नाम सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह का भी है। यहां तक कि चिराग के अपने चाचा पशुपति पारस भी नीतीश के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं, क्योंकि कालांतर में नीतीश ने उन्हें बिना विधायक रहते अपनी सरकार में मंत्री बना दिया था। इसे देखते हुए चिराग की पार्टी और उनके परिवार में टूट का खतरा लगातार बना हुआ है। विधानसभा चुनाव से पहले बिहार भाजपा के कई बागी नेता लोजपा में शामिल हुए थे, जिसमें रामेश्वर चौरसिया से लेकर राजेंद्र सिंह तक के नाम लिए जा सकते हैं, चिराग ने बकायदा इन बागियों को लोजपा का टिकट भी दे दिया था, पर ये तमाम नेतागण चुनाव हार गए थे, अब ये भी अपने पुराने घर भाजपा में लौटने को बेकारार बताए जाते हैं। चिराग के समक्ष एक और रास्ता बचता है कि वे अपने मित्र तेजस्वी का हाथ थाम लें और राजद से गठबंधन कर लें। पर पूर्व में लोजपा का यह प्रयोग बिहार में पूरी तरह धराशायी हो गया था, जब 2004 के लोकसभा चुनावों में रामविलास पासवान ने लालू का हाथ थाम लिया था, तब पासवान की लोजपा महज़ चार सीट ही जीत पाई थी। सो, नीतीश ने इस दफे चिराग को अब तलक अपने निशाने पर रखा हुआ है, उनके रहते लोजपा का एनडीए गठबंधन में पुनर्वापसी मुमकिन नहीं, सो भाजपा के बड़े रणनीतिकारों ने चिराग को सलाह दी है कि ’वे अपनी पार्टी लोजपा का विलय भाजपा में कर दें, ताकि उन्हें केंद्र में मंत्री बन सकने से नीतीश चाह कर भी न रोक पाए।’ चिराग के पास अभी उम्र का साथ है, उन्हें लंबी राजनैतिक पारी खेलनी है, सो वे भाजपा के इस प्रस्ताव पर गंभीरता से मनन कर रहे हैं। |
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