अखिलेश को टक्कर देने के लिए प्रतीक

October 17 2016


पिता-पुत्र के बीच चल रहे सियासी स्वांग पर सच्चाइयों के दाग लगने लगे हैं, यूपी के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पिता व चाचा की दंगली राजनीति से दीगर अपने लिए एक नया रास्ता बनाने में जुटे हैं। अखिलेश समर्थक इस पूरे परिवार की लड़ाई को यंग बनाम ओल्ड का रंग देना चाहते हैं। अखिलेश अपनी सरकार की उपलब्धियों का पिटारा लेकर चुनावी महासमर में उतर चुके हैं, डूबते को तिनके के सहारे की तर्ज पर उन्होंने अपने तार राहुल व कांग्रेस से जोड़ रखे हैं, जाट वोटों को अपनी ओर करने के लिए अखिलेश अजीत सिंह के साथ चुनावी गठबंधन करने को इच्छुक जान पड़ते हैं। वहीं पिता व चाचा के पास दशकों का सियासी तजुर्बा है, अमर सिंह की तरह तुरूप का इक्का है, जांची-परखी सियासी चालें हैं, पुराने मित्र हैं और संगठन की ताकत है, अगर कुछ नहीं है तो वह अखिलेश की नवअंकुरित राजनीति की ताजगी और उनका युवा-जोशीला चेहरा। सो, पिता व चाचा की मंडली ने इसकी काट के लिए उनके सौतेले भाई प्रतीक यादव को आगे लाने का निश्चय किया है। प्रतीक भी अखिलेश की तरह युवा हैं, जोशीले हैं और उनमें भी मुलायम की छाया दिखती है। आमतौर पर प्रतीक के साथ सार्वजनिक रूप से दिखने में कन्नी काटने वाले नेताजी ने अभी पिछले दिनों धूमधड़ाके के साथ प्रतीक के नए ’जिम’ का उद्घाटन किया है। मुलायम पुराने पहलवान रह चुके हैं, सियासी अखाड़ों के दांव-पेचों से भी भली-भांति वाकिफ है, पर जब सामने अपना पुत्र ही खड़ा हो तो लड़ने की इच्छा-शक्ति बचाए रखना किंचित मुश्किल हो जाता है।

 
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