तुनकमिजाजी की रक्षा में पीएमओ

January 06 2016


स्वतंत्र पत्रकारिता का अलख जगाने का दावा करने वाले दिल्ली से प्रकाशित होने वाले एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक अपने 31 दिसंबर के अंक में मोदी सरकार के काम-काज का ब्यौरा पेश करने की नियत से ’दस बेस्ट’ और ’दस वर्स्ट’ केंद्रीय मंत्रियों का लेखा-जोखा पेश करने जा रहा था। इसकी तैयारी यह अखबार समूह पिछले एक महीने से कर रहा था। इसके लिए बकायदा एक सर्वे एजेंसी की भी मदद ली गई थी। क्रिसमस के आसपास जब इस अखबार के एक संपादक अरूण जेटली से मिले तो बातों बातों में उन्होंने इस बात का जिक्र जेटली से कर दिया और उन्हें यह भी बता दिया कि उम्दा और घटिया प्रदर्शनों की सूची में शुमार होने वाले मंत्रिगण कौन-कौन से हैं। खराब प्रदर्शन की सूची में सिरमौर एक ऐसे मंत्री जी थे जिनके पास एक से ज्यादा विभाग है, और संसद में भी वे अपनी बददिमागी और तुनकमिजाजी के लिए जाने जाते हैं। चूंकि यह सरकार की इमेज का सवाल था। सो, जेटली फौरन हरकत में आ गए और वे डैमेज कंट्रोल में जुट गए। सबसे पहले उस तुनकमिजाज केंद्रीय मंत्री को अनुनय-विनय के लिए अखबार के दफ्तर में भेजा गया कि अबखार इस रिपोर्ट को ना छापे। मंत्री जी ने बहुत हाथ-पैर जोड़े, पर अखबार समूह अपने स्टैंड पर अडिग रहा। सूत्र बताते हैं कि फिर पीएमओ को हस्तक्षेप करना पड़ा, उसके बाद ही इस रिपोर्ट का प्रकाशन रूक सका और इस मंत्री जी की सांस में सांस आ सकी।

 
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