’कभी समंदर भी जैसे प्यासे के पास चला जाता है
सियासत वह जरूरत है जिसमें गधे को भी बाप कहा जाता है’
आज ही रविवार के दिन कोलकाता के चर्चित ब्रिगेड ग्राउंड पर पीएम मोदी की रैली है, इस रैली को सफल बनाने के लिए भाजपा ने काफी पहले से ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया हुआ है, सियासी खबरें गढ़ने में माहिर भगवा आर्मी ने पूरा माहौल बना रखा है, कि पीएम की रैली में बंगाल के सबसे चहेते दादा यानी सौरभ गांगुली भी शामिल हो सकते हैं, चूंकि सौरभ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष भी हैं इस नाते गृह मंत्री अमित शाह से सौरभ के संवाद सेतु काफी पहले से जुड़े हुए हैं, सियासी खेल के अलावा क्रिकेट के खेल में शाह उतनी ही दिलचस्पी लेते हैं। पर वामपंथी रूझानों वाले गांगुली अब भी भगवा खेमे में आने से कतरा रहे हैं और अपने हालिया ‘एंजियोप्लास्टी’ का हवाला दे रहे हैं। सूत्र तो यहां तक दावा करते हैं कि अगर दादा को पीएम के मंच तक आने में तकलीफ हुई तो पीएम खुद दादा का खैर-मकदम पूछने उनके घर भी जा सकते हैं। मीडिया के लिए यह एक ‘पिक्चर परफेक्ट’ मौका होगा और अगर इसके बाद भी सौरभ सक्रिय राजनीति में नहीं उतरे तो भाजपा सौरभ के नाम का ‘इमोशनल कार्ड’ चल सकती है कि ’अगर राज्य की जनता ने भाजपा को जिताया तो सौरभ ही बनेंगे मुख्यमंत्री।’ दिलीप घोष और शुभेन्दु अधिकारी राज्य के दो उप मुख्यमंत्री सौरभ को राजनैतिक ककहरा सिखाने के लिए नियुक्त हो सकते हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में टीएमसी के 43 फीसदी के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर 40 फीसदी था, पर ये वोट यकीनी तौर पर मोदी को दुबारा देश का पीएम बनाने के लिए थे, क्योंकि 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को महज़ 10 फीसदी वोट मिले थे। सो, दीदी की बढ़त को कम करने के लिए पीएम की सात मार्च की रैली में मिथुन चक्रवर्ती और प्रसेनजीत जैसे सितारे भी भाजपा ज्वॉइन कर सकते हैं। मिथुन को ममता राज्यसभा में लेकर आई थी, पर सारदा घोटाला में नाम आ जाने की वजह से मिथुन को अपनी राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा था। हालिया दिनों में मिथुन नागपुर जाकर संघ दरबार में शीश नवा आए हैं, भागवत से उनकी क्या बात हुई यह पूछे जाने पर मिथुन ने कहा था-’अध्यात्मिक बातें हुई हैं।’ पीएम की आज की रैली में साफ हो जाएगा कि क्या मिथुन चक्रवर्ती को अपने नए भगवान का पता मिल गया है?