पठानकोट के निशान |
January 25 2016 |
पठानकोट मामले में तथ्यों पर लीपा-पोती के दौर शुरू हो गए हैं। काफी कड़ी मशक्कत के बाद भी एनआईए एसपी सलविंदर सिंह से कोई ठोस जानकारी हासिल नहीं कर पा रही है, घूम-फिर कर यह सारा मामला ड्रग-पैडलर्स के ऊपर जा ठहरता है। रही बात इतने असलाह-विस्फोटक के अंदर पहुंचने की तो खुफिया एजेंसियां खुद ही हैरान हैं कि इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में जहां चारो ओर दीवार खड़ी है, गेट पर हर तरफ सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। क्लोज सर्किट कैमरे लगे हैं तो इतने विस्फोटक और हथियार आतंकी कैंपस के अंदर किस भांति ले जा पाने में कामयाब रहे? फिर खुलासा हुआ कि उस वक्त कैमरे काम नहीं कर रहे थे। अब यह जांच चल रही है कि क्या कैमरों को सुनियोजित तरीके से बंद किया गया या यह सुरक्षा में एक गंभीर चूक थी? इस पूरे मसले पर आर्मी, एयरफोर्स और एनएसए के बीच मनमुटाव की खबरें भी बाहर आ रही हैं। आर्मी के अंदर से एक खबर निकल कर आई कि इस पूरे ऑपरेशन के दौरान तीन बार कमांड चेंज हुई, सूत्र बताते हैं कि अजित डोभाल ने इस खबर पर गहरी आपत्ति जताई, एनएसए ने साफ कर दिया कि उनके साथ एयरफोर्स और आर्मी चीफ की बैठक में यह तय हुआ था कि इस पूरे ऑपरेशन की कमान सबसे सीनियर और काबिल आर्मी ऑफिसर दुष्यंत सिंह को सौंपी जाएगी। ऐसा ही हुआ, एनएसए ने साफ कर दिया कि पूरे ऑपरेशन में कमान एक ही हाथ में रही। पर पूरे परिसर की सुरक्षा का जिम्मा एयरफोर्स का था, सो अब इस बात की पड़ताल की जा रही है कि चूक सुरक्षा में हुई या घर के अंदर के कुछ विभीषणों ने भी आतंकियों की मदद की? |
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