चुनावी रंगमंच की सियासी पटकथा

October 22 2015


मौका जब सियासी स्वांगों का हो, चुनावी मुद्राओं का हो तो ऐसे में अभिनय की इन बारीकियों को करीने से समझने वाले कलाकारों की डिमांड काफी बढ़ जाती है, बिहार के मौजूदा विधानसभा चुनावों में भी विभिन्न राजनैतिक पार्टियों में नुक्कड़ नाटक के माफर््त अपनी बात कहने की होड़ मची है, जाहिर है ऐसे में स्ट्रीट प्ले करने वाले ग्रुप व कलाकारों की बल्ले-बल्ले है, इन दिनों प्रति कलाकार 10 दिनों के लिए 15 हजार रूपए की दर से रकम वसूली जा रही है, इसमें गांव-गांव घूमकर वाद्य यंत्र बजाने वाले वैसे गरीब कलाकार भी शामिल हैं जिनका बमुष्किल गुजारा होता है। मामला चुनावों का हो तो यहां पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी होती है, सो स्क्रिप्ट खासकर उम्दा व धांसू डाॅयलाॅग लिखने वाले लेखकों की भी खासी डिमांड है, नेतागण जानते हैं कि उनका एक डाॅयलाॅग हिट हुआ तो मीडिया वाले उसे लपक लेंगे। एक प्रमुख नाट्य संस्था ने तो 5-5 कलाकारों की 70 से ऊपर टीमें बना रखी है और इनमें से किसी भी टीम के पास इन दिनों सांस लेने की फुर्सत नहीं है। प्रत्येक टीम एक दिन में 5-6 षो कर रही है। चुनाव प्रबंधन में माहिर टीम शाह ने प्रसिद्ध नाट्य संस्था इप्टा को पहले ही एनडीए के लिए बुक कर रखा है, ये और बात है कि इप्टा की मूल विचारधारा क्रांति व मशाल की पोषक वाम दलों के साथ है, पर जब मौका चुनावों का हो तो बहती गंगा मंे हर कोई हाथ धोने को तत्पर है।

 
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