केंद्र में नृपेंद्र |
June 07 2014 |
सत्ता के गलियारों में अभी भी यह यक्ष प्रश्न मौजू बना हुआ है कि पीएम के प्रधान सचिव के तौर पर आखिरकार नृपेंद्र मिश्र की नियुक्ति कैसे हो गई? खास कर इस आदर्श आचार संहिता के बाद भी कि एक बार जो अफसर ‘ट्राई’ का चैयरमैन रह लेगा वह अपनी रिटायरमेंट के बाद सरकार में कोई और पद ग्रहण नहीं करेगा। नृपेंद्र मिश्र की नियुक्ति को लेकर सबके अपने दावे हैं, गोड्डा से भाजपा के तेजतर्रार सांसद निशिकांत दुबे यह श्रेय अपने सिर बांध रहे हैं, तो राजनाथ कैंप इसे अपनी जीत बता रहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल को लगता है कि यह सब कहीं न कहीं उनके प्रयासों से हुआ है, तो वहीं मोदी के एक बेहद करीबी इंडिया टीवी के हेमंत शर्मा को भी कई लोग ये क्रेडिट दे रहे हैं कि वही सबसे पहले मिश्र को लेकर मोदी के पास गए थे। एक सबसे बड़ा दावा यह भी है कि नृपेंद्र मिश्र का नाम विवेकानंद फाऊंडेशन की तरफ से आया था, यानी उनके नाम की अनुशंसा संघ के कुछ बड़े नेताओं ने की है, सच है सफलता के सचमुच एक से ज्यादा बाप होते हैं। |
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