एक दिन में बस 10 करोड़ नोट !

December 01 2016


नोटबंदी को लेकर देश में असमंजस का आलम अब भी बरबरार है, मोदी के कट्टर समर्थकों को भी कहीं ऐसा लग रहा है कि यह योजना तो बहुत अच्छी है, पर इसके क्रियान्वयन की तैयारियों को सही तरीके से अंजाम तक नहीं पहुंचाया गया। बैंकों के आगे कतार भले ही किंचित छोटी हो गई हो पर आम भारतीयों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही, ग्रामीण हलकों तक में अब नोटबंदी की धमक सुनी जा सकती है। वित्त मंत्रालय से जुड़े एक विश्वस्त सूत्र का दावा है कि नोटबंदी से उपजने वाले इस संकट की तीव्रता हालिया दिनों में कम होने वाली नहीं। चूंकि देश भर में इस वक्त छोटी-बड़ी सभी को मिला कर कोई 2200 करोड़ की संख्या में करंसी प्रचलन में है। इस वक्त नोट छापने की जितनी भी प्रिंटिंग प्रेस देश में है, वे सब मिल कर संयुक्त रूप से 10 करोड़ तक की संख्या में हर रोज करंसी छाप सकती हैं। अगर दिन रात यह काम चला तो महीने में 300 करोड़ नोट छप सकते हैं, फिर भी यह नाकाफी है। क्योंकि 500 व 1000 की शक्ल में छह लाख करोड़ की रद्दी इकट्ठी हो चुकी है, जो आज रद्दी है, कल को वह बाजार की किंग थी। सो, प्रचलन में आने वाले नोटों की कमी आने वाले कुछ दिनों तक बनी रहेगी, चाहे विपक्ष कितनी रार छेड़े, या पक्ष अपनी पीठ थपथपा ले, आम भारतीयों के कंधे तो किंचित झुके ही रहेंगे।

 
Feedback
 
  1. epicfighter Says:

    the first two lines are partially true. everything else is complete and utterly false. I know all this is supposed to be mere gossip, but this is not gossip at all. this is absolutely, in all sense of the word, unhinged bogus political propaganda based on lies!

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