बाबू बच के जरा

February 20 2018


सरकारी बाबुओं पर नकेल कसने की प्रधानमंत्री की कवायद कई मायनों में बेमानी साबित होती जा रही है। 2014 में जब मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, इसके बाद से वे लगातार इन कोशिशों में जुटे रहे कि बाबुओं और अफसरों को कैसे समय से ऑफिस आने के लिए प्रेरित किया जाए। जिन बड़े आईएएस अफसरों के ज्यादातर वक्त गोल्फ क्लब और सोशल गैदरिंग में गुजरता था, उन पर भी लगातार नज़र रखी गई। उनकी आदतों में किंचित बदलाव भी आया पर पूरी तरह से नहीं। सरकारी दफ्तरों को सुचारू व नियमित बनाने के लिहाज से बॉयोमैट्रिक्स लगवाए गए। पर इससे भी इनकी लेट-लतीफी का पूरी तरह से इलाज नहीं हो सका। सूत्र बताते हैं कि अब पीएमओ बाबुओं की गतिविधियों का रीयल अपडेट रखने के लिए और उनकी लोकेशंस पर नज़र रखने के लिए बॉयोमैट्रिक्स को जीपीएस से कनेक्ट करने की कवायदों में जुटा है। क्योंकि यह पाया गया है कि ज्यादातर अफसर व बाबू फील्ड वर्क और दूसरे बहाने कर दफ्तर से गायब हो जाते हैं, सो अब जीपीएस लगा कार्ड उन्हें अपने मोबाइल या टेबलेट में पंच करना पड़ेगा, जिससे उनके रीयल टाइम लोकेशंस का पता चलता रहे। अब बच के कहां जाओगे बाबू?

 
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