कोई कुर्सी भारत मां से बड़ी नहीं

March 15 2015


भगवा पार्टी सियासी नेपथ्य के सन्नाटों को बखूबी महसूस करने लगी है, कभी पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र का खटराग अलापने वाली पार्टी में शायद इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है, मोदी-शाह जोड़ी के चंद बड़े फैसलों से पार्टी में असहमति के स्वर उभरने लगे हैं और इसका खुल्लम खुल्ला इजहार सोशल मीडिया पर भी होने लगा है। किसी स्वयं सेवक की लिखी एक कविता इन दिनों सोशल मीडिया पर बेतरह वायरल हो रही है, जो मुफ्ती व भाजपा की नई बेमेल दोस्ती और अलगाववादी नेता मसर्रत की रिहाई को लेकर है, इस कविता की चंद पंक्तियों पर गौर फरमाइए, यहां सीधे मोदी को निशाने पर रखा गया है-‘देश प्रेम का दंभ भरते थे जो भी नायक दिल्ली से, सत्ता की लोलुपता में वे बन गए भीगी बिल्ली से, बीजेपी बिन राष्ट्रवाद के खड़ी नहीं हो सकती है, कोई कुर्सी भारत मां से बड़ी नहीं हो सकती है।’ सनद रहे कि इससे पूर्व इसी भाव की एक कविता लिखने व उसे सोशल मीडिया पर शेयर करने के आरोप में भाजपा की आगरा यूनिट ने अपने मीडिया इंचार्ज राजकुमार पथिक को बर्खास्त कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

 
Feedback
 
Download
GossipGuru App
Now!!