बिहार में नई भाजपा

February 26 2021


बिहार में भाजपा को नया चेहरा-मोहरा देने की कवायद जारी है, वहां पुराने खांटी नेताओं को दरकिनार कर अपेक्षाकृत नए और युवा चेहरों को महत्व दिया जा रहा है। नीतीश कुमार के मौजूदा कैबिनेट में भाजपा कोटे से 16 मंत्री बनें हैं जिनमें से 12 चेहरे एकदम नए हैं। नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार, विनोद नारायण झा जैसे पुराने मंत्रियों को नए कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। नीतीश कुमार के समक्ष भी अब भाजपा बड़े भाई की तरह एक्ट कर रही है, 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश के जदयू की 71 और भाजपा की 54 सीटें आई थीं, 2017 में जब नीतीश ने भाजपा से फिर हाथ मिलाया तो उनके कैबिनेट में भाजपा मंत्रियों की कोई पूछ नहीं थी, यहां तक कि उन मंत्रियों के सचिव भी नीतीश अपनी इच्छानुसार नियुक्त करते थे, पर 2020 के चुनाव के बाद मौसम बदल गया है, इस दफे भाजपा ने 74 और नीतीश की जदयू ने मात्र 44 सीटें जीती है, सो भाजपा के मुकाबले जदयू कोटे से मंत्री कम बने हैं, नीतीश के मौजूदा कैबिनेट में भाजपा के 16 और जदयू के 13 मंत्री हैं। जो शाहनवाज हुसैन नीतीश कुमार और सुशील मोदी को फूटी आंखों नहीं सुहाते थे आज वे बिहार सरकार में उद्योग मंत्री हैं। भाजपा हाईकमान ने उन्हें
अपनी ’चेक एंड बैलेंस’ की रणनीति के तहत यह जिम्मेदारी सौंपी हैं। पार्टी नेतृत्व ने शाहनवाज हुसैन को जम्मू-कश्मीर के डीडीसी यानी डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काऊंसिल चुनाव में भाजपा का परचम लहराने के लिए उन्हें इनाम स्वरूप यह मंत्री पद दिया है। पीएम मोदी का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से रिटायर होने पर उनका भावुक भाषण भी भाजपा के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलता है, इससे पहले भाजपा जफर इस्लाम को राज्यसभा में भी लेकर आई है, कहीं न कहीं ये सारे उपक्रम बंगाल और असम के आगामी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों को साधने के भी हो सकते हैं, वैसे भी मोदी-शाह को ऐसी रणनीति बुनने में महारथ हासिल है।

 
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