न राम, न रहीम, बस सियासी रसूख की धूम

August 29 2017


डेरा सच्चा सौदा के गुरमीत राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद चार राज्यों में हिंसा का जो आलम देखा गया, खुफिया एजेंसियों ने इस बाबत हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व दिल्ली की राज्य सरकारों को पहले ही चेतावनी भेज दी थी, बावजूद इसके राज्य सरकारें खासकर हरियाणा की खट्टर सरकार क्यों कान में तेल डालकर सोई रही यह एक गंभीर पड़ताल का विषय है। जो डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और उनके राजनैतिक रसूखों को महिमा मंडित करने के लिए काफी है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि इस दफे भी 15 अगस्त को, राम रहीम के जन्मदिन के मौके पर हरियाणा सरकार के वरिष्ठ मंत्री अनिल विज के नेतृत्व में मंत्रियों व नेताओं के एक दल ने गुरमीत राम रहीम को उनके जन्मदिन पर 51 लाख रुपयों की रकम भेंट के तौर पर दी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बाबा के पैर छूने व उनका आशीर्वाद लेते तस्वीरें सोशल मीडिया पर पहले ही वायरल हो चुकी हैं, जब अमित शाह राज्यसभा के लिए चुने गए तो बाबा ने भी बकायदा ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। क्रिकेटर विराट कोहली, शिखर धवन पहले ही इस बाबा के ब्रांड एंबेसडर बन कर घूम रहे हैं। ऐसे में अगर देश के चुनिंदा 36 अति प्रमुख लोगों की सूची में इस बाबा को शुमार किया जाता है और केंद्र सरकार उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराती है तो यह सोचने की बात है। फिल्मों में एक्टिंग के शौकीन बाबा जब अपनी 100 गाडि़यों के काफिले के साथ बाहर निकलते थे तो उनका जलवा देखते ही बनता था। सो, ऐसे में हरियाणा में एक छोटा सा अखबार ’पूरा सच’ चलाने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को बाबा का काला चिट्ठा छापने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। छत्रपति पर हमला होता है, क्योंकि उन्होंने उन पीडि़त साध्वियों की मर्मांतक दास्तां अपने अखबार में जस की तस छाप दी थी, उन्हें गोली मार दी गई और 22 दिनों तक लगतार अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद उन्हें मौत को गले लगाना पड़ा, पर विडंबना देखिए कि राजनैतिक दबावों की वजह से न तो छत्रपति का बयान लिया गया और न ही कोई मुकदमा दर्ज हुआ। सबसे त्रासद तो यह कि राम रहीम के चेलों की गुंडागर्दी को भाजपा के सांसद साक्षी महाराज राष्ट्रवाद की आड़ में महिमामंडित कर रहे हैं। आखिर ऐसा कब तक चलेगा?

 
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