मोदी ने बदले सुर |
April 26 2015 |
‘नजरें बदलती हैं तो नजारे बदल जाते हैं, सुबह होती है तो सितारे बदल जाते हैं’ भाजपा सांसदों और मंत्रियों के लिए भी प्रधानमंत्री का वह उद्बोधन उनके लिए एक नई सुबह के मानिंद थे, अब से पहले वाला क्लास रूम का नजारा बदला हुआ था, मोदी के सुर और तेवर भी बदले हुए थे, प्रधानमंत्री ने भगवा सांसदों को दुलारते हुए कहा-‘आप मेरे हाथ हो, आप सब मेरे हीरे हो’ वरना अब से पहले हुई मुलाकातों में प्रधानमंत्री का अंदाज कटाक्ष से तबरेज तल्खी भरा होता था, मसलन-‘आप लोगों से तो बात करनी भी मुश्किल है, आप लोग तो बात भी समझ नहीं पाते, लगता नहीं कि आपको अगली बार पार्टी टिकट की दरकार है…’ यानी मोदी के संवाद का तरीका बेहद हमलावार हुआ करता था। जब सांसदों का यह दल प्रधानमंत्री के उद्बोधन की समाप्ति के बाद बाहर निकला तो एक सीनियर मंत्री ने महाराष्ट्र के अपने साथी सीनियर मंत्री से अर्ज किया-‘दिल्ली की हार के बाद, हम हाथ और हीरे हो गए हैं, बिहार भी हार गए तो गले लगाने के लिए उतावले हो जाएंगे हमारे प्रधानमंत्री जी । सियासी दुपट्टा वाकई किसी के आंसुओं से तर नहीं होता है।’ |
Feedback |