मोदी और मुस्लिम

May 11 2014


भले ही मोदी को इस बात का बखूबी इल्म हो कि मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण उनके विरोध में हो रहा है, पर चुनाव के आखिर वक्त तक उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वे मुस्लिम समुदाय को यह भरोसा दिलवाने की कोशिश करते रहे कि वे मुस्लिम विरोधी नहीं हैं, वे मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर देखना चाहते हैं। इससे अलहदा गुजरात के मुस्लिम व्यापारियों की एक टोली बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों में मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर यह प्रचार करती रही कि मोदी के राज में मुसलमान कितने खुशहाल हैं। उन्होंने गुजरात के अल्पसंख्यकों की तरक्की और खुशहाली को दिखाने वाली छोटी-छोटी फिल्में बना रखी थी, और वे वीडियो प्रोजेक्टर के मार्फत इसका घूम-घूमकर प्रदर्शन कर रहे थे। इन फिल्मों में गुजरात के मुस्लिम यूथ की भावनाओं को भी स्वर दिए गए थे, और इस बात पर जोर दिया गया था कि मुसलमानों को मजहब के साथ-साथ उनके मुस्तकबिल (भविष्य) को भी संवारने की भी कोशिश करनी होगी। भले ही इन प्रयासों से मुस्लिम भाजपा के वोट में तब्दील न हो पाए हों, पर मोदी के बारे में उनकी सोच में एक लचीलापन जरूर आया है।

 
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