येचुरी-ममता एक मंच पर आए |
May 26 2020 |
कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए तमाम गैर भाजपाई सरकारें और दल एक मंच पर आ रहे हैं। पिछले दिनों इन तमाम विपक्षी दलों के नेताओं और मुख्यमंत्रियों की एक वर्चुअल मीटिंग हुई, जिसमें एक कॉमन एजेंडा बनाने की बात हुई है, जिसे वे केंद्रनीत भाजपा सरकार के सम्मुख बार-बार उठाते रहेंगे। पहल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से हुई, चूंकि अम्फान तूफान से लड़ने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य को एक हजार करोड़ का पैकेज मिला है, तूफान से हुई तबाही का जायजा लेने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री मोदी बंगाल का हवाई दौरा कर आए हैं, सो ममता सीधे मोदी पर निशाना साधने से बचती रही, मोदी की जगह उनका बदला संबोधन केंद्र सरकार का था। ममता का कहना था कि राज्य के संघीय (फेडरल) ढांचे का केंद्र रिसपेक्ट नहीं करता है, सो हमें मिल-जुल कर हमारे ’कॉमन एजेंडा’ को केंद्र के समक्ष बार- बार उठाना होगा। इस मीटिंग में कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों के दर्द को जुबान दी और कहा कि केंद्र माइग्रेंट क्राइसिस को कतई संभाल ही नहीं पाया। सीपीएम के सीताराम येचुरी ने गरीबों को इस कोरोना के दौर में मुफ्त अनाज और मुफ्त खाना देने की बात कही, तथा किसानों को उनकी फसल का अधिकतम समर्थन मूल्य देने की बात दोहरायी। सबसे आश्चर्यजनक था येचुरी और ममता का एक मंच पर आना और एक ही ’लाइन ऑफ एक्शन’ के तहत एक ’कॉमन एजेंडा’ को परवान चढ़ाने की कदमताल में शामिल होना। सबसे मज़े की बात तो यह कि भाजपा की ’बी’ टीम होने का तोहमत झेल रहे सपा और बसपा ने इस विपक्षी कदमताल से दूरी बनाए रखना ही उचित समझा। |
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