मुख्तार की रफ्तार के मोदीय सरोकार |
May 14 2017 |
मोदी सरकार के ’सबका साथ, सबका विकास’ नारे को परवान चढ़ाने में केंद्र सरकार का अल्पसंख्यक मंत्रालय भी उतनी ही शिद्दत से जुटा है। देश के 6 नोटिफाइड अल्पसंख्यक समुदाय यानी मुस्लिम, सिख, क्रिश्च्यन, बौद्ध, पारसी और जैन समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए जनवरी 2006 में इस मंत्रालय का गठन किया गया था, पर अब तक पूर्ववर्त्ती सरकारों में यह मंत्रालय पार्ट टाइम मंत्रालय ही बन कर रह गया था। जब मोदी ने अपने तेजतर्रार मुस्लिम फेस मुख्तार अब्बास नकवी को इस मंत्रालय का पूर्णकालिक जिम्मा सौंपा तो धीरे-धीरे मंत्रालय का चेहरा-मोहरा बदलने लगा। इस शुक्रवार को बकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस कर नकवी ने अपने मंत्रालय की उपलब्धियों का बखान किया। एक ओर जहां केंद्रनीत मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं को अनिश्चय के भंवर से निकालने के लिए ‘ट्रिपल तलाक’ की पुरजोर मुखालफत कर रही है, वहीं मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए नई योजनाओं में ढेर सारे पैसे डाल रही है। मंत्रालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि 15 अक्टूबर को मौलाना आजाद के जन्मदिन के मौके पर केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए ’तहरीके तालीम’ नामक एक नई योजना लेकर आ रही है, इसके लिए 100 अल्पसंख्यक आबादी वाले जिलों को चिन्हित भी किया जा चुका है, इसके तहत नए स्कूल खोले जाएंगे, स्कूलों व मदरसों में शौचालयों का निर्माण होगा और कौशल विकास केंद्र स्थापित किए जाएंगे। देश के 6 बड़े शहरों यानी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, लखनऊ और गुवाहाटी में ‘उस्ताद सम्मान समागम’ होगा और मंत्रालय के महत्वाकांक्षी ‘3 एस’ योजना यानी शिक्षा, शौचालय व सदभावना मंडप पर फोकस हो रहा है। सदभावना मंडप सांप्रदायिक सौहार्द की दिशा में एक ऐसा कम्युनिटी सेंटर है, जो अल्पसंख्यक आबादी को अपने समारोहों को आयोजित करने के लिए एक मंच देता है और अब तक ऐसे 235 मंडपों के निर्माण को हरी झंडी दिखाई जा चुकी है। |
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