अडवानी की अधूरी कहानी

June 19 2017


भाजपा के भूले-बिसराए भीष्म पितामह के लिए ये सब किसी यंत्रणा से कम नहीं था, जिस पार्टी को उन्होंने अपने रक्त-मज्जा से खड़ा किया हो आज वहां उनका कोई सुध लेवा नहीं। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अपनी पुत्री प्रतिभा अडवानी व सचिव दीपक चोपड़ा के साथ केरल और पुद्दुचेरी छुट्टियों पर जाने से पहले अडवानी ने तीन प्रमुख लोगों से मिलने का समय मांगा था, इनमें से एक स्वयं प्रधानमंत्री थे। सूत्रों का कहना है कि पीएमओ की ओर से अडवानी के दफ्तर को बताया गया कि पीएम अपने विदेश दौरे से वापिस लौट कर ही मिल पाएंगे, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की ओर से बताया गया कि इन दिनों वे लगातार यात्राएं कर रहे हैं, चुनांचे जब इसके बीच वे कभी दिल्ली आए तो शाह स्वयं अडवानी जी से जाकर मिल लेंगे, पर वह दिन कभी आया नहीं। संघ प्रमुख की ओर से बताया गया कि संघ का वर्ग चल रहा है, जिनमें वे व्यस्त हैं। अडवानी सियासत की नब्ज को बखूबी जानते हैं, वे सत्ता की दुलकी चाल को भी समझते हैं, सो उन्हें कहीं शिद्दत से यकीन हो गया कि यह भगवा सूरज वह नहीं है जिसे उन्होंने आजीवन पाल पोसकर बड़ा किया है, इसकी रोशनी में वे किरचें हैं जो उनकी आंखों व दिल में जलन पैदा कर रही है।

 
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