कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा

February 08 2021


क्या सरकारी उपक्रमों के मुखियाओं के लिए सरकार कोई नई पॉलिसी लाने का इरादा रखती है? क्या इसके प्रमुखों के कार्यकाल की मियाद इस भरोसे के साथ तय की जा सकती है कि इन्हें बार-बार सेवा विस्तार नहीं मिलेगा। ताजा मामला जल शक्ति मंत्रालय से जुड़ा है, मंत्रालय से संबद्द उसका सार्वजनिक उपक्रम है ‘वेबकॉस’ यानी ‘वॉटर एंड पॉवर कंसलटेंसी कॉरपोरेशन’, सन् 2010 में आर के गुप्ता वेबकॉस के सीएमडी नियुक्त किए गए 5 वर्षों के लिए, जिन्हें फिर से 3 वर्षों का एक्सटेंशन दे दिया गया, सेवा विस्तार की मंजूरी एसीसी से मिली और इनकी सेवा अवधि 2018 तक के लिए बढ़ा दी गई, जिसे गुप्ता ने अपने शुभचिंतकों की मदद से बढ़ा कर 2020 तक करा लिया। इतना ही नहीं गुप्ता ने वेबकॉस के साथ एक और सरकारी मिनी रत्न ‘एनपीसीसी’ के सीएमडी का अतिरिक्त प्रभार भी एक वर्ष के लिए संभाला। 2020 के सितंबर महीने में जब गुप्ता अपने पद से सेवा निवृत्त हुए तब भी उन्होंने हार नहीं मानी और उन्होंने नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में अपनी एक कंसलटेंसी फर्म खोल ली और परोक्ष-अपरोक्ष तौर पर वेबकॉस से जुड़ी सेवाओं के लिए अन्य कंपनियों को अपनी दक्षता का लाभ देने लगे। गुप्ता के भतीजे प्रशांत गुप्ता ने भी नई दिल्ली के रोहिणी में ‘ग्रो ईवर इंफ्रा कंपनी’ की शुरूआत की जो चाचा की दक्षताओं को ही नए आयाम मुहैया करा रही है। भले ही जल शक्ति मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव देवाश्री मुखर्जी को वेबकॉस का नया सीएमडी नियुक्त किया गया हो, पर आर के गुप्ता की अब भी वहां उतनी ही तूती बोलती है। आर के गुप्ता इस मामले में कोई अकेले लाभार्थी नहीं है, बल्कि दर्जनों सार्वजनिक उपक्रमों की बस यही कहानी है। ऐसी ही एक कहानी एनबीसीसी की सहायक कंपनी ‘एचएससीसी’ की भी है, जहां के सीएमडी ज्ञानेष पांडेय वहां सन् 2012 से ही अपने पद पर काबिज हैं, उन्हें इस पद पर डटे 9 वर्ष हो गए हैं, इस साल जुलाई में वे रिटायर होने वाले हैं, पर वे भी अपने एक्सटेंशन के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, उनके भी सियासी रसूख को देखते हुए अगर उन्हें एक और सेवा विस्तार मिल जाए तो किसी को ज्यादा आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

 
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