सियासी बलिवेदी पर किरण बेदी

January 18 2015


अगर राजनीति अवसर का लाभ उठाने की सही रणनीति का नाम है तो पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी इसमें स्वयं सिद्धा हैं, दिल्ली भाजपा के कई पुराने धुरंधरों को चित्त करते हुए उन्होंने अपनी नई सियासी पारी का आगाज किया है। भाजपा में शामिल होने से पूर्व जब वो अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री से मिलने पहुंची, तो मोदी की स्पष्ट मंशा उन्हें चुनावी अखाड़े में केजरीवाल के खिलाफ उतारने की थी, भाजपा के नवअवतरित चाणक्य शाह के लिए भी यह एक बड़ा झटका था जब बेदी ने विन्रमतापूर्वक मोदी के इस आग्रह को ठुकराते हुए अपनी ओर से चार विधानसभा सीटों के नाम लिए जहां से वह चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं। इस कड़ी में पहला नाम हर्षवर्ध्दन द्वारा रिक्त की गई कृष्णा नगर सीट का था, जहां हर्षवर्ध्दन ने वाकई काफी काम किए हैं और इसे सहज रूप से भाजपा की एक आसान सीट मानी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि बेदी ने इसके अलावा कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर या फिर शालीमार गार्डन विधानसभा सीट से लड़ने की इच्छा जताई है। बेदी के भगवा अभ्युदय से न सिर्फ भाजपा की अंदरूनी राजनीति में उफान है, बल्कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस बाबत अपनी सार्वजनिक नाखुशी जाहिर कर दी है। बेदी को लेकर भाजपा और ‘आप’ की ‘ई-आर्मी’ भी आमने-सामने है। ‘आप’ की ‘ई-आर्मी’ खुलकर मांग कर रही है कि अगर बेदी में हिम्मत है तो वह केजरीवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरकर दिखाएं, वहीं किरण बेदी के इरादे कुछ और हैं उनकी नारें कहीं किसी बड़े अंजाम पर टिकी हैं।

 
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