’माफी-मोड’ में क्यों और कैसे आए केजरीवाल |
March 26 2018 |
जब से दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी के 20 अयोग्य करार दिए गए विधायकों की सदस्यता बहाल करने की बात की है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल किंचित विनम्रता की नई प्रतिमूर्ति बनते नजर आ रहे हैं। वे अपने तमाम पुराने गिले-शिकवे भुलाकर अब ’माफी-मोड’ में आ गए हैं। उनके ’माफी-मोड’ में आने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं, जब मजीठिया के मान-हानि मामले में पंजाब में अरविन्द के ऊपर मुकदमा दर्ज हुआ और कोर्ट में इसकी तारीख लग गई तो केजरीवाल ने पंजाब में आप पार्टी के विधायक दल के नेता और नेता प्रतिपक्ष सुखलाल खैरा को फोन करके कहा कि वे इस मामले को देख ले और वहां किसी वकील का इंतजाम कर लें, क्योंकि फिलहाल वे अपनी व्यस्तताओं के चलते पंजाब आने में असमर्थ हैं। इसके बाद दो तारीखों पर खैरा ने केजरीवाल की ओर से वकील भेजा और सूत्रों का कहना है कि खैरा ने इसके बाद 6 लाख रुपयों का एक बिल केजरीवाल को भेज दिया। यह बिल देखकर केजरीवाल का सिर चकराया और सूत्रों की मानें तो उन्होंने फौरन खैरा को फोन लगाया और उनसे पूछा-’ वकील की इतनी ज्यादा फीस?’ तो खैरा का जवाब आया कि ’वैसे तो यह वकील साहब अपनी हर पेशी का 5 लाख रुपए चार्ज करते हैं, वो तो मेरा लिहाज कर इन्होंने अपनी फीस दो लाख रुपए कम कर दी है।’ केजरीवाल ने सिर धुन लिया, बोले-’मेरे पास इतना पैसा कहां कि हर हियरिंग के 3 लाख रुपए दूं, मेरे ऊपर तो इस तरह के छत्तीसों केस चल रहे हैं, मैं इतने पैसे कहां से लाऊंगा, अगर यह मेरे ही मान-सम्मान की बात है तो मैं माफी मांग लेता हूं, पार्टी पर इसकी कोई आंच नहीं आएगी।’ और उसी वक्त से केजरीवाल ’माफी-मोड’ में चले गए हैं। माफी मांगने की कवायद में उनका अगला ठिकाना देश के वित्त मंत्री अरूण जेटली हैं, केजरीवाल को पक्का भरोसा है कि जेटली जी बड़ा दिल दिखाते हुए उन्हें माफ कर देंगे। |
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