जावेद बनाम आजम

November 15 2014


अपनी पार्टी के अंदर सियासत के अंदरूनी आयामों में संतुलन साधना कोई सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से सीखे, मित्रसेन यादव के साथ सपा में कोई दो दशक पूर्व आए एक युवा नेता जावेद अली खान को राज्यसभा भेजने में नेताजी ने अपने पुराने साथी आजम खां के तमाम विरोधी की अनदेखी कर दी। यूपी के संभल के रहने वाले जावेद छात्र राजनीति में वामपंथी विचारधारा से इत्तफाक रखते थे, वे छात्र राजनीति के दिनों में जामिया मिलिया इस्लामिया के जनरल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं। वे लोकसभा का पिछला चुनाव संभल से लड़ना चाहते थे, पर आजम ने उनका टिकट कटवा कर बसपा से सपा में आए वर्क को दिलवा दी। जब इस बार आजम को इस बात की भनक लगी कि मुलायम जावेद को ऊपरी सदन में भेजना चाहते हैं, उन्होंने नेताजी से मिलकर कहा कि इस लोकसभा चुनाव में जावेद ने पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ काम किया था, पर नेताजी ने सियासी संतुलन साधते जावेद के साथ आजम की पत्नी को भी राज्यसभा में भेज दिया, ताकि आजम के पास कहने को कुछ न रह जाए और पार्टी कैडर में एक मैसेज भी जा सके कि सपा का एक आम कार्यकर्ता भी राज्यसभा में जा सकता है।

 
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