क्या गांधी मुक्त कांग्रेस की कल्पना मुमकिन है?

January 04 2021


’तुम अगर आइना हो तो सब सच दिखाते क्यों नहीं हो
कोई हाथ लगाए तो टूट कर बिखर जाते क्यों नहीं हो’

सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस में असंतोष का बुलबुला इस कदर फूट रहा है कि इसे देख गांधी परिवार भी हैरान-परेशान है। बैचेनी इस कदर है कि परिवार के चिराग राहुल गांधी के नेतृत्व को भी चुनौतियां मिलने लगी हैं? इस शनिवार को आहूत हुई कांग्रेस की बैठक की रूप-रेखा प्रियंका गांधी ने तैयार की थी, प्रियंका की इस मुहिम को परवान दी कमलनाथ ने, उन्होंने पार्टी के एक-एक असंतुष्ट नेता से खुद बात की और कहते हैं इस बात की जानकारी भी उन्होंने प्रियंका से साझा की। इन नेताओं को बताया गया कि बैठक से पहले स्वयं प्रियंका गांधी उनसे वन-टू-वन बात करेंगी यानी यह एक तरह से असंतुष्ट नेताओं की नाराज़गी दूर करने का ही पूरा उपक्रम था। सूत्र बताते हैं कि प्रियंका ने सचमुच बैठक षुरू होने से पहले अषोक गहलोत के साथ मिल कर कई असंतुष्ट नेताओं से सीधी बात की। गांधी परिवार का यह पूरा उपक्रम इस बात के लिए भी था कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में बात चुनाव तक पहुंचे ही नहीं, कहीं ओर से राहुल को चुनौती मिले नहीं और वे निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुन लिए जाएं। वहीं दूसरी ओर राहुल हैं जो लगातार पार्टी को ये संकेत भेज रहे हैं कि वे अध्यक्ष बनना ही नहीं चाहते सो, एक बड़ा वर्ग है जो कह रहा है कि आखिर कब तक ऐसा चलेगा? बहुत हुआ, कम से कम अब तो चुनाव हों। दस जनपथ के वफादारों को अपने ही कुछ नेताओं पर षक है कि वे भाजपा की हाथों में खेल रहे हैं, और कांग्रेस के अंदर क्या चल रहा है इसकी पल-पल की जानकारी भाजपा तक पहुंचा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो शक के इसी दायरे में गुलाम नबी आजाद जैसे नेता भी आते हैं। इससे भाजपा का सूचना तंत्र मजबूत होता है और कांग्रेस गांधी परिवार पर उनके हमले की धार और भी पैनी होती है।

 
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