ईरानी की बात हुई पुरानी

April 18 2015


चौतरफा मुसीबतों में घिरी स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से बाहर का दरवाजा दिखाने के लिए बिसात बिछ गई है, अगर उनका भाग्य अनुकूल रहा तो वे देश की अगली पर्यटन मंत्री हो सकती हैं, अन्यथा उनसे मंत्री पद छिना भी जा सकता है। जब मोदी सरकार की नींव पड़ी तो उन्हें देश की शिक्षा नीति को नए सिरे से सजाने-संवारने का जिम्मा दिया गया था, पर अपनी बेलाग कार्यशैली से उन्होंने दोस्त कम, दुश्मन ज्यादा बना लिए। वह पहली मंत्री हैं, जिनके रहते शिक्षा मद के बजट में तकरीबन 30 फीसदी की कमी कर दी गई, उनकी ओर से विरोध के कोई स्वर सुनाई नहीं दिए। संजय काचरू के ताजा मामले से अलहदा उनके अब तक कोई चार पीएस बदले जा चुके हैं, उनके कार्यकाल में एक भी आईआईटी या आईआईएम बनना शुरू नहीं हुआ, एजुकेशन बिल पास नहीं हुआ। टीचर ट्रेनिंग पर काम नहीं हुआ। इंडियन टीचर सर्विस के गठन की बात बेमानी साबित हुई। चार सांसदों ने हालिया दिनों में उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, संयुक्त सचिव स्तर के चार अधिकारियों ने लिखकर दिया है कि वे ऐसे मंत्री के साथ काम नहीं कर सकते। सिर्फ प्रधानमंत्री से नजदीकियों की भ्रांतियां कब तक उन्हें बचा पाएंगी, और अब तो इन भ्रांतियों के हाथ-पैर भी टूट गए हैं।

 
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