भारतीय कारपोरेट बैचेन

August 02 2015


भारतीय उद्योग जगत में एक बैचेनी का आलम बरकरार है, मोदी सरकार को लेकर जो उनकी अपार अपेक्षाएं थीं, वह फलीभूत होती नहीं दिख रही है, उल्टे टैक्स प्रावधानों और आर्थिक कानूनों को लेकर केंद्र सरकार का रवैया सख्त होता जा रहा है। फेरा के नए कानून में अब सीधे जेल का प्रावधान है, इंकम टैक्स, मनीलांड्रिंग, कस्टम एक्साइज जैसे कानूनों में भी अब जेल प्रावधानों को सहज रूप से जोड़ा गया है। मोदी से उदारीकरण की नई बयार की बाट जोहते उद्योग जगत को ये नए कानून डरा रहे हैं, नौकरषाही व लालफीताषाही का दस्तूर वही पुराना है, चुनांचे देष के बहुत सारे काॅरपोरेट विदेषी धरती का रूख कर रहे हैं। अमरीका से अलहदा इस बार लंदन और दुबई उनकी पसंदीदा जगह के तौर पर उभरे हैं। कई बड़े काॅरपोरेट मसलन जेपी और एस्सार तेजी से अपनी हिस्सेदारी बेचने में जुटे हैं। इनमें से ज्यादातर अपने उत्तराधिकारियों (पुत्र/पुत्रियों) को विदेष में सेट्ल कराने में जुटे हैं। यानी देष को दिल्ली के निज़ाम बदलने से जिस भारी निवेष की अपेक्षाएं थी, इसके ठीक उलट अब तो देष का धन ही बाहर जा रहा है।

 
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