क्यों बच गए बहुगुणा?

January 05 2014


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा अपना इस्तीफा लेकर दिसंबर के आखिरी सप्ताह में दिल्ली पधारे थे, राहुल गांधी उनका तुरंत इस्तीफा चाहते थे, पर जब बहुगुणा अपने इस्तीफे की पेशकश के साथ सोनिया गांधी के दरबार में पहुंचे तो उन्हें कुछ और समय के लिए अभयदान मिल गया, क्योंकि नए मुख्यमंत्री के दौर में शामिल तीन नामों यानी हरीश रावत, हरक सिंह रावत व इंदिरा हृदयेश के नाम पर आम सहमति नहीं बन पा रही है, हरक सिंह के नाम पर विधायक राजी नहीं है, इंदिरा हृदयेश के नाम को भी वहां के विधायक गंभीरता से नहीं ले रहे, सबसे ज्यादा विधायकों का समर्थन जुटा कर भी हरीश रावत अपने नाम का ऐलान सिर्फ इस वजह से नहीं करवा पा रहे हैं कि सतपाल महाराज गुट ने उनके खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर रखा है, वहीं कांग्रेसी हाईकमान यह मानकर चल रहा है कि अगर इस बार भी हरीश रावत को मौका नहीं दिया गया तो वे बागी हो सकते हैं। वैसे भी भाजपा ने शह-मात की बिछात पर अपने पांसे कुछ ऐसे चल रखे हैं कि वह किसी भी बड़े कांग्रेसी बागी को भजनलाल बनाने को यानी उन्हें मुख्यमंत्री के लिए अपना समर्थन देने को राजी है, यह बात कांग्रेस भी समझती है, वैसे भी राहुल कैंप उत्तरकाशी आपदा के बाद से ही विजय बहुगुणा से खार खाए बैठा है।

 
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