हिंदी की लहर

February 15 2015


इस दफे जब कर्नाटक विधानसभा का संयुक्त सत्र राज्यपाल वजुभाई बाला के अभिभाशण से षुरू हुआ तो पहली बार किसी राज्यपाल ने अंग्रेजी से अलहदा अपना पूरा अभिभाशण हिंदी में दिया। राज्यपाल के अभिभाशण के धन्यवाद प्रस्ताव पर सबसे पहले नेता सदन एस आर पाटिल और फिर भाजपा के नेता प्रतिपक्ष ईष्वरप्पा कन्नड़ में बोले। फिर भगवा पार्टी ने अपने बहुचर्चित एमएलसी लहर सिंह सिरोया को बोलने के लिए उतारा, और लहर सिंह ने जैसे ही हिंदी में बोलना षुरू किया, सदन में हंगामा मच गया। इसी षोर-षराबे के बीच लहर सिंह कोई 10-15 मिनट तक धाराप्रवाह हिंदी में बोलते रहे, तब स्पीकर ने उन्हें बताया चूंकि सदन के पास न तो हिंदी में कोई स्टेनो है और न ही अनुवादक, चुनांचे उनकी स्पीच रिकार्ड में नहीं जा पाएगी। लिहाजा वे कन्नड़ या अंग्रेजी में बोलें। लहर सिंह ने तब वैसा ही किया। यहां एक बात सोचने की है कि भाजपा ने अब तब अपने इस एमएलसी के निलंबन को रद्द नहीं किया है, जबकि लहर सिंह मोदी के पक्ष में अलख जगाने में सबसे आगे रहे हैं। क्या वाकई अब भी पार्टी में अडवानी का असर कहीं षेश है जो मोदी-षाह युगल लहर का इस्तेमाल तो कर रहे हैं पर उन्हें वापिस पार्टी में लेने से हिचक रहे हैं।

 
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