सिंहदेव के विद्रोह के पीछे कौन |
August 06 2022 |
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार भी अब भाजपा के निशाने पर आ गई है। अब से कोई सवा साल बाद छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें बघेल अपने कार्यों के दम पर सत्ता में पुनर्वापसी के सपने संजो रहे हैं। पर उनकी सरकार को अस्थिर करने में उनके पुराने दोस्त ही शामिल हैं। कभी बघेल और सिंहदेव की जोड़ी को छत्तीसगढ़ में ’जय-वीरू’ की जोड़ी कहा जाता था। कोई पौने चार वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच ढाई-ढाई साल के सीएम पद पर सहमति बनी। पर जब सिंहदेव की बारी आई तो सियासी परिस्थितियों ने उनके हाथ से यह मौका छीन लिया। नाराज़ सिंहदेव ने एक चार पेज की चिट्ठी जारी कर अपना मंत्री पद छोड़ने का ऐलान कर दिया है। बघेल का दावा था कि इस राष्ट्रपति चुनाव में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कोई भी विधायक क्रॉस वोटिंग नहीं करेगा, पर द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में उनके छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी, जो कहीं न कहीं सिंहदेव के नेतृत्व में बगावत का आगाज़ है। मौके की नजाकत को भांपते भाजपा बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है, जिस पर 27 जुलाई को चर्चा होनी है। छत्तीसगढ़ की मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस के 71, भाजपा के 14, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के 3 और बसपा के 2 विधायक हैं। इस लिहाज से भी बघेल की कुर्सी को फिलवक्त कोई खतरा नहीं दिखता। |
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