योगी भी कम नहीं

September 04 2022


यूपी में पिछले दिनों बड़े पैमाने पर टॉप नौकरशाही में फेरबदल देखा गया। इस बड़े फेरबदल की जद में था योगी के बेहद दुलारे अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को सेवा विस्तार न मिलना। योगी ने अवस्थी को सेवा विस्तार दिलवाने में अपना सारा जोर लगा दिया, पर बात बनी नहीं। दरअसल, सेवा विस्तार की फाइल अनुमोदन के लिए राज्य सरकार इसे केंद्र सरकार के पास भेजती है, यानी केंद्र की ’हां’ सेवा विस्तार देने के लिए निहायत जरूरी है। पर अवस्थी को लेकर केंद्र सरकार का जवाब आया कि ‘अवस्थी अगर चीफ सेक्रेटरी होते तो 3 महीने का एक्सटेंशन दिया जा सकता था, पर एडिशनल को सेवा विस्तार देने की कभी परंपरा नहीं रही है।’ सो, जब अवस्थी एक्सटेंशन नहीं पा सके तो योगी की नाराज़गी की गाज तुरंत वैसे अधिकारियों पर गिरी जो केंद्र के नजदीक समझे जाते थे। इस क्रम में नवनीत सहगल का कद भी छोटा हो गया। वे अहम सूचना विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर तैनात थे, वहां से उनका तबादला खेल-कूद विभाग में कर दिया गया। यूपी में चाहे मायावती की सरकार रही या अखिलेश की या फिर योगी की सहगल का रुतबा हमेशा सिर चढ़ कर बोला है, पहली बार है जो उनका एक तरह से ‘डिमोशन’ हो गया है। प्रदेश के दोनों उप मुख्यमंत्रियों के सचिवों का भी तबादला हो गया है। ब्रजेश पाठक के विवादों में रहे मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की जगह पार्थसारथि सेन शर्मा को लाया गया है। ये पिछले चार साल से ’इंतजार’ में थे, क्योंकि अखिलेश के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहते हुए सेन साहब ने अखिलेश व डिंपल की प्रेम कहानी को बयां करने के लिए एक किताब लिख दी थी। केशव प्रसाद मौर्या के साथ रहने वाले सोशल और अल्पसंख्यक कल्याण के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हिमांशु कुमार को भी तबादले की मार झेलनी पड़ी है। केंद्र ने एक किया तो योगी ने चार, यह बताने के लिए कि वे किसी से डरते नहीं।

 
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