योगी क्यों तलब किए गए दिल्ली?

December 26 2022


’सांय-सांय करते इन अंधेरों से लड़ना है मुझे
कल के माथे पर शिद्दत से आज लिखना है तुझे
इन बुझे चेहरों पर थोड़ी धूप मलनी है मुझे
उम्मीदों के आसमां पर सूरज बन चमकना है मुझे’
न तो यूपी से दिल्ली दूर है और न ही योगी आदित्यनाथ की उद्दात महत्वाकांक्षाओं से। अभी पिछले दिनों भाजपाध्यक्ष जेपी नड्डा के दिल्ली आवास पर जब यूपी के सीएम योगी पधारे तो सियासी फिजाओं के रंग किंचित गड्डमगड्ड थे। योगी के साथ अहम मीटिंग में शामिल होने के लिए गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष खास तौर पर पधारे थे। मीटिंग में नड्डा कम बोले, राजनाथ आमतौर पर कुछ बोलते ही नहीं। सो पार्टी हाईकमान ने बातों ही बातों में योगी के समक्ष असंतोष जाहिर किया कि उन्हें गुजरात के चुनाव प्रचार में ‘यूपी मॉडल’ के बखान की क्यों जरूरत पड़ गई, जबकि देश के समक्ष हमेशा से भगवा पार्टी ’गुजरात मॉडल’ को एक नजीर की तरह पेश करती आई है। मुद्दा योगी सरकार में ही मंत्री नंदगोपाल नंदी का जेपी नड्डा को लिखे उस पत्र का भी उठा, जिसमें गुप्ता ने आरोप लगाया कि ’राज्य के व्यापारियों पर बिलावजह जीएसटी के छापे पड़ रहे हैं, एजेंसियां उन्हें परेशान कर रहीं हैं। इस बात से राज्य का व्यापारी वर्ग नाराज़ है, जबकि आने वाले कुछ दिनों में यूपी में महापौर के चुनाव भी होने हैं।’ हाईकमान को यूपी उप चुनाव के नतीजों को लेकर भी परेशानी है, दरअसल चुनावी नतीजे आने से पहले योगी ने दिल्ली से कहा था कि मैनपुरी में जीत-हार का अंतर मामूली होगा, खतौली और रामपुर भाजपा जीत रही है। लेकिन जब नतीजे आए तो मैनपुरी से डिंपल यादव 2 लाख 88 हजार के अंतर से विजयी रहीं, खतौली की सीट भी जयंत चौधरी की पार्टी ने जीत ली। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में योगी को शिद्दत से यह याद दिलाने की कोशिश हुई कि वे कभी इस बात को भूले नहीं कि यूपी की जीत भाजपा को पीएम मोदी के चेहरे पर मिली है। जरूरी हुआ तो योगी को दिल्ली भी लाया जा सकता है।

 
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