बेरी के क्या वैर

November 01 2021


2014 के मोदी के पहले प्रधानमंत्रित्व काल में जब सुरेश प्रभु को रेल मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था, तो भारतीय रेल को नया चेहरा-मोहरा देने की गरज से भारतीय रेल के कर्मचारियों को डिजाइनर यूनिफार्म देने की कवायद हुई। मशहूर फैशन डिजाइनर जो अपनी भगवा आस्थाओं के लिए भी जानी जाती है यानी कि रितु बेरी को 50 करोड़ रूपयों का एक ऑर्डर मिला। इस योजना की पहले चरण में लगभग 13 लाख रेलवे कर्मचारियों के लिए उनके यूनिफॉर्म बनने थे। इन कर्मचारियों में ऑफिस स्टॉफ, गार्ड, ड्राईवर, कैटरिंग स्टॉफ, लोको पॉयलट्स, टीटीई और गैंगमैन शामिल थे। जब सुरेश प्रभु की जगह पीयूष गोयल ने रेल मंत्रालय का जिम्मा संभाला तो रितु बेरी पर उनकी आस्था और मेहरबानी यथावत कायम रही। चूंकि नए मंत्री रितु बेरी और उनके डिजाइन में पूरी दिलचस्पी ले रहे थे सो दूसरे फेज के लिए भी रितु बेरी को रेलवे की ओर से 6 करोड़ रूपयों के नए ऑर्डर मिल गए। कहते हैं पीएमओ ने इस पूरी कवायद को फिजूलखर्ची माना और इस बाबत गोयल को बुला कर उनकी क्लास भी लगाई गई और बाद में उनसे रेल मंत्रालय लेकर अश्विनी वैष्णव के हवाले कर दिया गया। इन तमाम पेंचोखम में डिजाइनर के पेमेंट्स रेल मंत्रालय पर बकाया रह गए, कहते हैं जब अपने बकाए की वसूली के लिए ये रेल मंत्रालय के उच्च अधिकारियों से मिलीं तो उनसे इनकी गर्मागम बहस हो गई, अब मामले को शांत कराने के लिए मंत्रालय के पूर्व मंत्री को बीच-बचाव करना पड़ रहा है।

 
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