बिहार में 14 के पैटर्न पर 24 होगा

September 04 2022


नीतीश से कुट्टी के बाद भाजपा शीर्ष ने तय किया है कि वह 2014 के लोकसभा चुनाव के तर्ज पर ही मोदी के नाम पर 24 का चुनाव लड़ेगी, उन्हीं पुराने सहयोगियों यानी लोक जनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा के साथ मिल कर। तब मुकेश सहनी ने भी भाजपा के पक्ष में अलख जगाई थी। उस वक्त भाजपा ने अकेले 30 फीसदी मत लेकर 22 सीटें हासिल की थीं, चिराग की पार्टी को 6 और 3 सीटें कुशवाहा की पार्टी ने जीती थी। भाजपा सहयोगियों ने कुल 40 फीसदी वोट षेयर हासिल किए थे। नीतीश को 16 फीसदी वोट मिले थे पर सीटें सिर्फ उन्हें 2 ही आई थी। भाजपा की कोशिश है कि चिराग और उनके चाचा पारस में सुलह करवा कर उनकी पार्टियां फिर से एक कर दी जाएं। उपेंद्र कुशवाहा इस दफे बिहार में मंत्री नहीं बनाए जाने से नीतीश से नाराज़ चल रहे हैं, वे आसानी से पाला बदल कर भाजपा के साथ आ सकते हैं, वैसे भी कुशवाहा और यादवों में पटती नहीं है और कुशवाहा जाति हमेशा से हिंदुत्व की झंडाबरदार रही है। मांझी भी भाजपा के साथ आने को तैयार बताए जाते हैं। मुकेश सहनी को मनाना भाजपा के लिए किंचित मुश्किल साबित हो सकता है, क्योंकि भाजपा उनकी वीआईपी पार्टी तोड़ने की दोषी है। कहते हैं जदयू की दो नेत्रियों बीमा भारती और लेसी सिंह में झगड़ा भड़काने में उपेंद्र कुशवाहा की ही भूमिका है, उन्होंने नीतीश से यह भी कहा कि ’कोर ग्रुप की मीटिंग में तय हुआ था कि राजद के साथ गठबंधन की सरकार में जदयू के वही मंत्री शामिल होंगे जो भाजपा गठबंधन की सरकार में पहले से थे।’ भाजपा एक कुशवाहा नेता सम्राट चौधरी को विधान परिषद में अपना नेता बनाने को तैयार हो गई है, साथ ही किसी अगड़े को मसलन भूमिहार जाति के विजय सिन्हा या विवेक ठाकुर को प्रदेश भाजपा का नया अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है।

 
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