बिहार में दिशाहीन कांग्रेस

December 26 2022


राहुल गांधी के लिए बिहार आज भी सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा बना हुआ है। बिहार के कांग्रेस संगठन में व्यापक फेरबदल के बावजूद पार्टी का ग्राफ वहां अब भी उठ नहीं पा रहा। बिहार कांग्रेस के बड़े नेताओं की वफादारी अपने पार्टी हाईकमान से कहीं ज्यादा नीतीश या लालू के प्रति है। बिहार के कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास जहां ‘नीतीश भक्त’ बताए जाते हैं, वहीं वहां के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह जाहिरा तौर पर लालू-तेजस्वी के ज्यादा प्यारे हैं। अभी गरीब दास के तौर पर बिहार यूथ कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिला है, उनकी निष्ठा भी लालू-तेजस्वी के साथ बताई जाती है। बिहार से पार्टी हाईकमान को लगातार यह शिकायतें मिल रही है कि संगठन में विभिन्न पदों के लिए बोली लग रही है। जिला अध्यक्ष, प्रखंड अध्यक्ष बनाने के नाम पर पैसे मांगे जा रहे हैं। राज्य में पार्टी को मजबूत करने के नाम पर एआईसीसी मेंबर से 25 हजार, पूर्व विधायकों से 60 हजार, विधायक से 1 लाख और मंत्रियों से 10 लाख रुपयों का डिमांड हो रही है, हाईकमान भी ऐसी खबरों पर हैरान-परेशान हैं, पर वहां से भी कोई एक्शन होता नहीं दिख रहा।

 
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