फंस गई हैं ममता

August 28 2021


लगता है बंगाल की नेत्री ममता बनर्जी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के बिछाए जाल में फंस गई है, दीदी लगातार केंद्रीय चुनाव आयोग पर राज्य में सितंबर में उप चुनाव कराने का दबाव बना रही हैं, बंगाल में अभी 7 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। सनद रहे कि ममता अभी विधानसभा की सदस्य नहीं हैं, चूंकि वह शुभेंदु अधिकारी से नंदीग्राम में चुनाव हार गई थीं। बतौर सीएम अब उनका कार्यकाल 5 नवंबर तक ही शेष है। ममता का कहना है कि सितंबर का माह ही उप चुनाव के लिए सबसे माकूल वक्त है, क्योंकि इसके बाद दुर्गा पूजा, दीपावली यानी त्यौहारों का मौसम आ जाएगा। अक्टूबर-नवंबर में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर भी चेतावनी दी गई है। ममता का डर दरअसल संविधान की धारा 164(4) को लेकर है जिसके मुताबिक कोई मंत्री या फिर सीएम जो कि राज्य के किसी विधानमंडल का सदस्य नहीं है, बिना निर्वाचित हुए उसे अपने सरकारी पद पर बने रहने की अवधि 6 माह तक है, इसके बाद उनका कार्यकाल स्वतः समाप्त हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में एक ऐतिहासिक फैसला है जब सरदार बेअंत सिंह के पुत्र और पंजाब सरकार में मंत्री तेजपाल प्रकाश सिंह की बिना किसी सदन का सदस्य निर्वाचित हुए उनकी पुनर्बहाली कर दी गई थी। ऐसा ही एक मामला तमिलनाडु का भी है जब रिटर्निंग ऑफिसर ने जयललिता को ‘डिस्क्वालीफाई’ कर दिया था। ममता ने भी अपनी ओर से पूरी तैयारी कर रखी है कि अगर चुनाव आयोग नियत समय पर बंगाल में उप चुनाव नहीं करवाता है तो वह अपना राज-पाट अपने सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी को सौंप कर दिल्ली कूच कर जाएंगी और वहां संयुक्त विपक्ष का चेहरा बनने का प्रयास करेंगी।

 
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