पार्टी की मान्य परंपराओं को राम-राम कर सकते हैं सीताराम?

January 26 2023


’ख्वाहिशों के उखड़ते तंबुओं में तेरा अक्स नज़र आता है
गैरों के उलाहनों में जब कभी भी मेरा जिक्र आता है’
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी का बिहार से राज्यसभा में जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यूं तो अप्रैल और मई माह में राज्यसभा की कई सीटें खाली हो रही है, इसमें अकेले बिहार से राज्यसभा की 6 सीटें रिक्त हो रही हैं। इनमें से 2 सीट राजद के, 2 भाजपा व 1 जदयू के हिस्से आने वाली है। बाकी बची छठी सीट पर राजद, जदयू और कांग्रेस मिल-जुल कर येचुरी की ताजपोशी करना चाहती हैं। इन तीनों दलों का साफ तौर पर मानना है कि ’विजयी एका के आसमान पर येचुरी उसी धूमकेतु के मानिंद चमक सकते हैं, जैसा करिश्मा कभी माकपा नेता हरकिशन सिंह सुरजीत ने कर दिखाया था।’ ये तीनों दल चाहते हैं कि येचुरी विपक्षी एका का नया मंच तैयार करने में अपनी महती भूमिका निभाएं, जदयू चाहता है कि ’येचुरी नीतीश कुमार के दिल्ली की राजनीति के लिए नई पटकथा लिखें।’ वैसे तो येचुरी केरल से भी राज्यसभा में आ सकते हैं, जहां पेन्नाराई विजयन के नेतृत्व में मार्क्सवादियों की सरकार है। पर पूर्व माकपा महासचिव प्रकाश कारत इस बात के लिए तैयार नहीं बताए जाते, वैसे भी माकपा की मान्य परंपरा है कि ’पार्टी का कोई भी नेता दो बार से ज्यादा राज्यसभा में नहीं रह सकता,’ येचुरी राज्यसभा में अपना दो टर्म पूरा कर चुके हैं, यानी वे इस बार एक बार फिर से ऊपरी सदन में पहुंचते हैं तो यह पार्टी की मान्य परंपरा का हनन होगा।

 
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