चिंतन शिविर की असल चिंता

May 17 2022


कांग्रेस के उदयपुर के चिंतन शिविर से पार्टी के कई बड़े नेता नदारद रहे, उन्हें शिविर में बुलाया ही नहीं गया। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अपनी सरकार है, इसके अलावा महाराष्ट्र, झारखंड में वह गठबंधन की सरकार में शामिल है। इन सरकारों के किसी भी मंत्री को चिंतन षिविर में आमंत्रित नहीं किया गया। राज्य इकाईयों के कार्यकारी अध्यक्षों को भी बुलाने की जहमत नहीं उठाई गई, कई पार्टी प्रवक्ताओं को भी नहीं बुलाया गया जिन्हें कैमरों के आगे पार्टी लाइन सामने रखनी होती है। इस बात पर सब हैरान थे कि आमंत्रितों की सूची किसने तैयार की थी? जिग्नेश मेवाणी और कन्हैया कुमार जैसे नेताओं को भले ही पार्टी में कोई पद न मिला हो, पर ये दोनों राहुल के बेहद दुलारे हैं, इस नाते इन्हें शिविर में बकायदा आमंत्रित किया गया। मेवाणी तो गुजरात से निर्दलीय विधायक हैं, उन्हें शिविर में देख कर कई कांग्रेसी हैरान थे। सोनिया गांधी को भी इस ऊहापोह का आभास हो चुका था, जिसका जिक्र अपने उद्घाटन भाषण में करते हुए उन्होंने कहा-’कई पार्टी नेता इस शिविर में रहना चाहते थे, पर कुछ कारणों से हमें भागीदारी सीमित करनी पड़ी है, पर मुझे यकीन है कि ये नेतागण हमारी मजबूरियों को समझेंगे, मैं उनसे कहना चाहती हूं कि महज़ उदयपुर में उपस्थित न रहने से संगठन में उनकी भूमिका या क्षमता का कोई अवमूल्यन नहीं हुआ है।’

 
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